बीपीएससी ट्रेंड एनालिसिस: विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी
प्रश्नों की प्रकृति:
बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा
आयोजित परीक्षा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खंड सामान्य अध्ययन द्वितीय पत्र का
हिस्सा है जहाँ से अब 72 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। कुछ समय पहले तक यहाँ से पूछे जाने वाले
प्रश्नों के बारे में अनुमान लगा पाना बहुत ही मुश्किल था, पर अब धीरे-धीरे एक
ट्रेंड बनता हुआ दिखाई पड़ता है। अगर इन रुझानों को शब्दों में बाँधने की कोशिश की
जाये, तो:
1. इस खंड में पूछे जाने वाले
प्रश्न अपारंपरिक प्रकृति के कहीं अधिक हैं। इनमें से अधिकांश प्रश्न
समसामयिक प्रकृति के कहीं अधिक हैं।
2. ऐसे अधिकांश प्रश्न उन चुनौतियों से सम्बद्ध हैं जिनका वर्तमान में भारत के
द्वारा सामना किया जा रहा है। इन प्रश्नों में छात्रों से यह अपेक्षा
की जा रही है कि उनके पास चुनौतियों की न केवल समझ हो, वरन् वे उन चुनौतियों से
निबटने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका से भी परिचित हों। उदाहरण के रूप
में 53-55वीं BPSC (मुख्य) परीक्षा के दौरान पूछे गए इस प्रश्न को देखा जा सकता
है:
a. बाढ़ और सूखे की प्राकृतिक आपदाओं से बिहार लगातार गुजरता रहता है। इन आपदाओं के पूर्वानुमान तथा प्रबंधन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका हो
सकती है? अपने उत्तर को प्रायोगिक उदाहरणों के द्वारा समझाइए।
3. ऐसी
चुनौतियों की श्रेणी में शहरीकरण-प्रबंधन, ठोस कचरा-प्रबंधन, स्मार्ट सिटी की अवधारणा, अम्रुत,
पर्यावरण-प्रदूषण, जलवायु-परिवर्तन, जल-संसाधन प्रबंधन (बाढ़, सूखा, भूमिगत जल-प्रबंधन,
सतह पर जल-प्रबंधन, वर्षा-जल संचयन, जल की लवणता आदि), आपदा-प्रबंधन, चुनौतियों,
और उर्जा-आवश्यकता (नाभिकीय ऊर्जा, सोलर एनर्जी) से सम्बंधित चुनौतियों को रखा जा
सकता है। इन चुनौतियों से निबटने में सरकार के द्वारा जो संस्थागत प्रयास किये जा
रहे हैं, उन पर भी नज़र होनी चाहिए और जिन स्वैच्छिक प्रयासों की अपेक्षा है,
उन्हें भी अहमियत मिलनी चाहिए।
4. कई बार ऐसे प्रश्नों को बिहार के विशेष संदर्भ से भी जोड़ने की कोशिश
की जाती है, विशेषकर उर्जा-आवश्यकता के सन्दर्भ में।
b. उदय अर्थात् उज्ज्वला डिस्कॉम अश्योरेंश योजना क्या है? कौन-से राज्य इस योजना में भागीदार हैं? बिहार किस
तरह से उदय से लाभान्वित होगा?
c. बिहार राज्य में बढती ऊर्जा
की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन वैज्ञानिक प्रयासों का सुझाव
दीजिये, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे।
5. कई बार अंतर्विषयक
दृष्टि (Inter Disciplinary Approach) पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं जिनके साथ तबतक न्याय नहीं
किया जा सकता है जबतक छात्र अंतर्विषयक नजरिये से चीजों को देखने की कोशिश नहीं
करते हैं। उदाहरण के रूप में 56-59वीं
बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा के दौरान पूछे गए इस प्रश्न को देखा जा सकता है:
d. भारत में भूमंडलीकरण (Globalization)
के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभावों की गंभीरतापूर्वक विवेचना कीजिये। विज्ञान तथा तकनीकी नकारात्मक प्रभाव
को कैसे कम कर सकते हैं? व्याख्या कीजिये।
इस प्रश्न में वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभावों को प्रतिसंतुलित करने के बहाने
अर्थव्यवस्था और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को एक-दूसरे से सम्बद्ध कर देखने
की कोशिश की गयी है। इसी मुख्य परीक्षा के दौरान यह प्रश्न भी पूछा गया:
e.
अन्य देशों की तुलना में, भारत अलवण जल-संसाधनों
से सुसंपन्न है। समालोचनापूर्वक
परीक्षण कीजिये कि क्या कारण है कि भारत इसके बावजूद जलाभाव
से ग्रसित है? वैज्ञानिक प्रबंधन तथा तकनीकी का इस
समस्या के निदान में क्या योगदान हो सकता है? व्याख्या करें।
इस प्रश्न में भी भूगोल एवं विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी को एक-दूसरे से सम्बद्ध कर देखा गया है:
अबतक पूछे गए प्रश्न
(60-62)
BPSC
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(56-59)th
BPSC
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(53-55)th
BPSC
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(48-52)th
BPSC
|
47th
BPSC
|
|
1.भारत के लिए प्रदूषण गंभीर समस्या
बन गया है। इसके कारणों की पहचान
कीजिये एवं इंगित कीजिये कि शासन के द्वारा कौन-से अनिवार्य कदम उठाये जाने
चाहिए और जनता के द्वारा कौन-से स्वैच्छिक कदम उठाये जाने चाहिए।
2.ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या
भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रमों
का विस्तार जारी रखना चाहिए? नाभिकीय ऊर्जा से सम्बंधित तथ्य एवं
भय की विवेचना कीजिये।
3.भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
की उपलब्धियों को आप किस तरह देखते हैं? उनके अगले रोमांचक लक्ष्य
क्या हैं?
4.उदय अर्थात् उज्ज्वला
डिस्कॉम अश्योरेंश योजना क्या है? कौन-से राज्य इस योजना में भागीदार हैं?
बिहार किस तरह से उदय से लाभान्वित होगा?
|
1. अन्य देशों की तुलना में, भारत अलवण जल-संसाधनों से सुसंपन्न है। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या कारण
है कि भारत इसके बावजूद जलाभाव से
ग्रसित है? वैज्ञानिक प्रबंधन तथा तकनीकी का इस
समस्या के निदान में क्या योगदान हो सकता है? व्याख्या करें।
2.बिहार राज्य में बढती ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन वैज्ञानिक
प्रयासों का सुझाव दीजिये, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे।
3.भारत में भूमंडलीकरण
(Globalization) के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभावों की
गंभीरतापूर्वक विवेचना कीजिये। विज्ञान तथा तकनीकी नकारात्मक प्रभाव को कैसे
कम कर सकते हैं? व्याख्या कीजिये।
4.भारत में मोदी सरकार के
सम्मुख उपस्थित चुनौतियों में से प्रमुख है, “गंगा नदी की सफाई, घटते
हुए प्राकृतिक संसाधन तथा घटती जा रही कृषि भूमि और स्वास्थ्य के बढ़ते हुए खतरे”। इन समस्याओं से निपटने के लिए वैज्ञानिक प्रयासों की
विवेचना कीजिये जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे।
|
1. फुकुशीमा
परमाणु आपदा ने परमाणु तकनीकी के खतरों दुनिया का ध्यान पुनः
केन्द्रित कर दिया है। भारत की बढती हुई ऊर्जा की आवश्यकताओं
को देखते हुए इस रास्ते को त्याग देना क्या भारत के लिए उपयुक्त होगा? क्या
हमारी ऊर्जा की जरूरतें वैकल्पिक श्रोतों से पूरी की जा सकती है? व्याख्या करें।
2.भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के
अनुसार, “देश के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों
में से प्रमुख हैं: बढती हुई आबादी, स्वास्थ्य के बढ़ते हुए खतरे, घटते हुए
प्राकृतिक संसाधन और घटती जा रही खेती की भूमि।” इन चार क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए
कम-से-कम तीन वैज्ञानिक उपायों की चर्चा
कीजिये, जो आप लागू करना चाहेंगे।
3.भारत के अधिकांश
शहर तथा कस्बे, धूल भरी टूटी सड़कों, बड़े-बड़े कूड़े के ढेरों और अस्त-व्यस्त
यातायात से भर चुके हैं। वैज्ञानिक प्रबंधन तथा तकनीकी का इन समस्याओं के निदान में क्या योगदान हो
सकता है?
4. बाढ़ और
सूखे की प्राकृतिक आपदाओं से बिहार लगातार गुजरता रहता है। इन आपदाओं के
पूर्वानुमान तथा प्रबंधन में विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका हो सकती है? अपने उत्तर को प्रायोगिक
उदाहरणों के द्वारा समझाइए।
|
1. भारत में कचड़े
के प्रबंधन एवं उनसे उत्पन्न उर्जा की सम्भावनाओं पर एक लेख लिखे।
2.कृषि की जैव-विविधता
के महत्व की विवेचना कीजिये। अपने उत्तर को कुछ उदाहरणों की सहायता से
समझायें।
3.भारत में हो रहे अंतरिक्ष अनुसन्धानों का विवरण दीजिये। यह अनुसंधान देश की प्रगति में किस प्रकार
सहायक सिद्ध हुए हैं?
4.एचआईवी एड्स
अनुसन्धान में भारतीय योगदान की विवेचना कीजिये। इस बीमारी के
कारण एवं बचाव के उपायों को भी समझाइए।
|
1. पर्यावरण
प्रदूषण और देश के आर्थिक विकास के बीच में क्या सम्बन्ध है? ये
दर्शाइए कि पर्यावरण संरक्षण नियमों का ‘तथाकथित’ विकास के लिए त्याग अत्यंत कष्टदायी
होगा।
2.भारत में विज्ञान
और प्रौद्योगिकी के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं के विकास की विवेचना
कीजिये। स्वतंत्रता के बाद प्रत्येक दशाब्दी में भारत सरकार के विज्ञान एवं
प्रौद्दोगिकी को प्रधानता देने की समीक्षा कीजिये।
3.अपने देश में नाभिकीय
उर्जा के सैन्य एवं नागरिक उपयोगों के बीच परस्पर सम्बन्ध की विवेचना
कीजिये। अपने देश के सैन्य कार्यक्रम के सन्दर्भ में हाल ही में किये गये
भारत-अमेरिका नाभिकीय स्वीकृति का परीक्षण कीजिये।
4.अपने देश में उर्जा के
गैर-परंपरागत स्रोतों की समस्या की विवेचना करें। कार्बन-क्रेडिट क्या है? देश के आर्थिक विकास के लिए
कितना वैश्विक उष्माकरण (Global Warming) झेला जा सकता है?
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|
प्रश्नों की
भावी दिशा:
उपरोक्त रुझानों के आलोक में यदि प्रश्नों की
भावी दिशा के प्रश्न पर विचार किया जाय, तो: निम्न अनुमान अलगाया जा सकता है:
1. हाल में प्रतिरक्षा-क्षेत्र के लगातार चर्चा में बने
रहने के कारण संभव है कि इस बार प्रतिरक्षा चुनौतियों से सम्बद्ध कर या फिर
प्रतिरक्षा-चुनौतियों से निबटने में DRDO की भूमिका को लेकर प्रश्न पूछे जाएँ। इसी
तरह जिस तरह से बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या के आलोक में नेशनल रजिस्टर ऑफ़
सिटीजनशिप चर्चा में है, उसको ध्यान में रखते हुए सीमा-पार से अवैध आव्रजन की
चुनौती से निबटने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित करने के लिए
भी कहा जा सकता है।
2. उर्जा-क्षेत्र
में सोलर एनर्जी, इसकी
व्यवहार्यता, इन्टरनेशनल सोलर अलायन्स(ISA) और इस गठबंधन में भारत की भूमिका पर
प्रश्न पूछे जाने की प्रबल सम्भावना है। इतना ही नहीं, बिहार में इस क्षेत्र में
निहित सम्भावनाओं के दोहन की दिशा में किये जा रहे प्रयास, इसके रास्ते में
विद्यमान अवरोध और इन अवरोधों को दूर करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका
पर भी प्रश्न बनाये जा सकते हैं।
3. जिस तरह से भारतीय कृषि-क्षेत्र के समक्ष जलवायु-परिवर्तन
की चुनौती लगातार गंभीर होती जा रही है, संभव है कि इन चुनौतियों से निबटने में
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाएँ। बाढ़ और सूखे
की चुनौती के मद्देनज़र ऐसे फसलों की किस्मों के विकास में विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी की भूमिका और इस दिशा में अबतक होने वाले प्रयासों के बारे में भी
प्रश्न पूछा जा सकता है। कृषि-क्षेत्र में ही जीएम फसलों पर भी लगातार चर्चा चल
रही है। ऐसी स्थिति में इसके नफा-नुकसान के आकलन पर आधारित प्रश्न भी पूछे जा सकते
हैं।
4. हाल में
केरल की भीषणतम बाढ़ की पृष्ठभूमि में ऐसे प्रश्नों के पूछे जाने की संभावना 63वीं
मुख्य परीक्षा के दौरान भी प्रबल है। संभव है कि ऐसे प्रश्न भूगोल में बाढ़, बाढ़-प्रबंधन, शहरीकरण-प्रबंधन, आपदा-प्रबंधन और
इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका से सम्बंधित हो। प्रश्न बाढ़ की समस्या
की प्रकृति को लेकर भी पूछे जा सकते हैं: मानव-जनित आपदा या फिर प्राकृतिक आपदा?
5. जिस तरह से अम्रुत(AMRUT)
और स्मार्ट सिटी की संकल्पना को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, वह शहरीकरण-प्रबंधन में भी विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर संकेत करता है। इसीलिए यह संभव है कि यहाँ से भी प्रश्न पूछे जाएँ। विशेष रूप से
दिल्ली जैसे शहरों में धुँध की जो समस्या उभरकर सामने आयी है और जिस तरह से यहाँ
की आबो-हवा निरंतर जहरीली होती जा रही है, उसके आलोक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इन चुनौतियों से निबटने में कहाँ तक मददगार हो सकती है।
6. इसी प्रकार अबतक डिजिटल
इंडिया और इसकी चुनौतियों पर प्रश्न नहीं पूछे गए हैं। संभव है कि आनेवाले समय में
इसके रस्ते में मौजूद अवरोध, साइबर सिक्यूरिटी
मैकेनिज्म और इसकी विसंगतियों से प्रश्न उठाकर पूछ दिए जाएँ। इसके
अतिरिक्त सोशल मीडिया का हमारे जीवन में बढ़ता
हस्तक्षेप, इसके द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ, कानून एवं व्यवस्था के
साथ-साथ आतंरिक सुरक्षा के लिए इसमें निहित खतरे और इनसे निबटने के उपाय पर भी
प्रश्नकर्ता की नज़र जा सकती है और ऐसी स्थिति में यहाँ से भी प्रश्न उठाये जा सकते
हैं।
स्रोत-सामग्री:
1. सार्थक विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी सह समसामयिकी: कुमार सर्वेश एवं संजय कुमार सिंह
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