Tuesday 8 March 2022

भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी: ईवीएम विवाद

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                भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी: ईवीएम विवाद

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ईवीएम का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ चुका है, और इसको लेकर तरह-तरह के क़यास लगाए जा रहे हैं। यह स्थिति लोकतंत्र, जो आज लगभग जोकतंत्र में तब्दील हो चुका है, के लिए ठीक नहीं है। इस स्थिति के लिए चुनाव आयोग, पूरी चुनावी-प्रशासनिक मशीनरी, सत्तारूढ़ दल, विपक्षी दल और मीडिया के साथ-साथ भारतीय जनता जिम्मेवार है। इन सबने ईवीएम को लेकर ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैया अपना रखा है। विवादों के लगातार उभरने के बावजूद चुनाव आयोग अपने गाइडलाइंस के सख़्ती से अनुपालन को लेकर बहुत गम्भीर नहीं है और न ही प्रशासनिक मशीनरी चुनाव आयोग के गाइडलाइन्स को अक्षरश: फ़ॉलो करते हैं जिसके कारण चुनाव के बाद और मतगणना के पहले अक्सर ईवीएम से भरे वाहन एक जगह से दूसरी जगह आते-जाते हैं जिसके कारण यह विवाद खड़ा होता है। क्या सिर्फ़ इतना नहीं सुनिश्चित किया जा सकता है कि इस अवधि के दौरान रिज़र्व में रखे गए ईवीएम की आवाजाही बन्द हो। 

दूसरी बात, क्या यह सुनिश्चित नहीं किया जाना चाहिए कि ईवीएम की आवाजाही चुनाव आयोग के द्वारा चिह्नित वाहनों के ज़रिए ही सुनिश्चित की जाए और जो अधिकारी इस प्रक्रिया से जुड़े हैं, उनके पास इससे सम्बंधित सारे दस्तावेज उपलब्ध हों?

तीसरी बात, क्या ऐसा नहीं किया जाना चाहिए कि ऐसे वाहनों के मूवमेंट के सन्दर्भ में उम्मीदवारों और उनके एजेंटों को पहले से ही अधिकृत सूचना उपलब्ध करवायी जाए और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें भरोसे में लिया जाए?

चौथी बात, राजनीतिक दलों, विशेष रूप से विरोधी दलों और मीडिया को ऐसे मामलों को सनसनीख़ेज़ बनाने से परहेज़ करना चाहिए। 

पाँचवीं बात, राजनीतिक दलों को इस बात को समझना चाहिए कि उनकी जीत-हार से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों का भरोसा बना रहना। 

छठी बात, राजनीतिक दलों को यह भी समझना चाहिए कि आज वे विपक्षियों हैं, लेकिन कल वे भी सत्ता में आयेंगे और उस स्थिति में उन्हें भी इन चुनौतियों का सामना करना होगा। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि राजनीतिक दल एवं उनके नेता अपनी ज़िम्मेवारी समझें और ज़िम्मेदार तरीक़े से व्यवहार करें।

सातवीं बात, सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि राजनीतिक दल राजनीतिक प्रशिक्षण, विशेष रूप से चुनाव-प्रक्रिया, ईवीएम, पोस्टल बैलेट एवं मतगणना के सन्दर्भ में कार्यकर्ताओं के राजनीतिक प्रशिक्षण की अहमियत को समझें और अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करें। आने वाले समय में पोस्टल बैलेट मतगणना के दौरान चुनावी धाँधली के अहम् मसले में तब्दील हो चुका है और विशेष रूप से उन जगहों पर जहाँ बहुत ही करीबी मुक़ाबले हो रहे हैं। आठवीं बात, राजनीतिक दलों को अपनी हार पूरी शालीनता के साथ (with Grace) स्वीकारनी चाहिए। 

आठवीं बात, अबतक ईवीएम के मसले पर चुनाव आयोग का रवैया संतोषजनक नहीं रहा है। उसे इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा और इससे सम्बंधित तमाम शंकाओं के समाधान की दिशा में पहल करनी होगी। 

और अन्त में, इस विवाद से सम्बद्ध सभी पक्षों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझनी होगी, अन्यथा यह प्रवृत्ति भारतीय लोकतंत्र को अत्यन्त ख़तरनाक मोड़ पर पहुँचा देगा। 

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