Monday, 24 June 2019

64वीं बीपीएससी हिन्दी साहित्य (संभावित टॉपिक्स)


64th बीपीएससी मुख्य परीक्षा  
हिन्दी साहित्य: संभावित टॉपिक्स
पेपर की संरचना:
60-62वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा के दौरान बिहार लोक सेवा आयोग ने मुख्य परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की दिशा में पहल की है सामान्य अध्ययन के भारांश को दोगुना किया गया है और वैकल्पिक विषय के भारांश को आधा अब वैकल्पिक विषय के केवल एक पेपर होते हैं जो दो खण्डों में विभाजित होते हैं प्रश्नों के पैटर्न पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि:
1.           प्रथम खंड में हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के इतिहास से प्रश्न पूछे जाते हैं, द्वितीय खंड में गद्य-खंड एवं पद्य-खंड से प्रश्न पूछे जाते हैं दोनों खण्डों से छह-छह प्रश्न पूछे जाते हैं, और इनमें दूसरे खंड में दो प्रश्न व्याख्या से पूछे जाते हैं। अगर आप हिन्दी साहित्य में बेहतर अंक हासिल करना चाहते हैं, तो आपको व्याख्या खंड से प्रश्न करने की कोशिश करनी चाहिए और कोशिश हो कि व्याख्या खंड से दोनों प्रश्न किये जाएँ।  
2.           (60-62)वीं मुख्य परीक्षा में खंड क में चार प्रश्न भाषा-खंड से पूछे गए और दो प्रश्न साहित्य के इतिहास से; जबकि 63वीं मुख्य परीक्षा के दौरान दो प्रश्न भाषा-खंड से और चार प्रश्न हिन्दी साहित्य के इतिहास से
3.           इसी प्रकार 60-62)वीं मुख्य परीक्षा में खंड ख में चारों प्रश्न गद्य-भाग से पूछे गए और व्याख्या वाले दोनों प्रश्न पद्य-भाग से; जबकि 63वीं मुख्य परीक्षा के दौरान व्याख्या वाले प्रश्न गद्य एवं पद्य दोनों से सम्बंधित थे और शेष प्रश्नों में तीन प्रश्न पद्य से थे एवं एक प्रश्न गद्य से
ऐसी स्थिति में 64वीं मुख्य परिक्षा के दौरान आपको रणनीतिक लोचशीलता बनाये रखनी होगी क्योंकि हो सकता है कि भाषा एवं इतिहास के बीच आनुपातिक संतुलन फिर बदले
भाषा-खंड से सम्बंधित प्रश्न:
भाषा-खंड में देखा जाय, तो निम्न टॉपिकों से प्रश्न पूछे जाने की पूरी संभावना है:
1.     अपभ्रंश, अवहट्ट एवं प्रारंभिक हिन्दी का अंतर्संबंध*****: अपभ्रंश, अवहट्ट और प्रारंभिक हिन्दी: व्याकरणिक एवं अन्य विशेषताएँ
60th-62nd BPSC: अपभ्रंश और प्रारंभिक हिन्दी की व्याकरण-सम्बंधी और शाब्दिक विशेषताओं की उदाहरण सहित विवेचना कीजिये
2.     अवधी, ब्रज और खाड़ी बोली*****: साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रज का विकास, अवधी एवं ब्रज का अंतर, ब्रज भाषा की अपार लोकप्रियता के कारण, अवधी भाषा का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास, साहित्यिक भाषा के रूप में खड़ी बोली का विकास और इसमें विभिन्न संस्थाओं का योगदान
60th-62nd BPSC: मध्यकाल में अवधी भाषा का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास पर प्रकाश डालिए
3.     पूर्वी हिन्दी और पश्चिमी हिन्दी*****: पूर्वी हिन्दी एवं पश्चिमी हिन्दी का अंतर्संबंध, मैथिली एवं भोजपुरी की विशेषतायें।  
60th-62nd BPSC: हिन्दी की प्रमुख उपभाषाओं का परिचय देते हुए उनके पारस्परिक संबंधों पर प्रकाश डालिए
4.     देवनागरी लिपि: देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता, दोष और सुधार के उपाय; देवनागरी लिपि का मानकीकरण और कम्प्यूटरीकरण
63rd BPSC: देवनागरी लिपि की विशेषताओं और गुणों पर संक्षेप में विचार कीजिये
5.     आधुनिक हिंदी की संवैधानिक स्थिति: संपर्क भाषा, राजभाषा और राष्ट्रभाषा का अंतर्संबंध, राजभाषा के रूप में हिन्दी की अद्यतन स्थिति और हालिया विवाद: त्रिभाषा फॉर्मूला
60th-62nd BPSC: स्वतन्त्रता के बाद भारत संघ की राजभाषा के रूप में हिन्दी के विकसा पर निबन्ध लिखिए
63rd BPSC: स्वाधीनता संघर्ष के समय हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में विकास का उल्लेख कीजिये
6.     हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास*****
इतिहास-खंड से पूछे जाने वाले प्रश्न:
इतिहास-खंड में देखा जाय, तो निम्न टॉपिकों से प्रश्न पूछे जाने की पूरी संभावना है:
1.     आदिकाल: नामकरण-विवाद, आदिकालीन साहित्य में फैक्ट और फिक्शन का समावेश, सामाजिक-सांस्कृतिक बोध, विद्यापति और उनकी पदावली
63rd BPSC: उपलब्ध सामग्री के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य के कल-विभाजन पर अपने विचार व्यक्त कीजिये
2.     भक्तिकाल*****: प्रेरणा-स्रोत, इस्लाम की भूमिका और इससे सम्बंधित विवाद, सन्त-काव्य की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता, सूफी-काव्य की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना और इसका प्रदेय, तुलसी की समन्वयवादी चेतना, सामंत-विरोधी मूल्य, लोकधर्म आदि।
3.     रीतिकाल*****: प्रवृत्तियाँ एवं विशेषताएँ: रीति-निरूपक आचार्यों के योगदान और महत्व का मूल्यांकन, रीतिकालीन कवियों की श्रृंगार-चेतना; बिहारी एवं घनानंद के विवेश सन्दर्भ में।
4.     आधुनिक काल: आधुनिक हिन्दी कविता में अभिव्यक्त नवजागरण-चेतना का स्वरुप, छायावाद: स्थूल के खिलाफ सूक्ष्म का विद्रोह, रहस्यवाद एवं स्वच्छन्दतावाद के विशेष सन्दर्भ में, प्रगतिवाद, नयी कविता और समकालीन कविता: स्त्री-विमर्श एवं दलित विमर्श।
62rd BPSC: हिन्दी की नयी कविता की विभिन्न प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए
63rd BPSC: भारतेंदु युग और द्विवेदी-युग के नवजागरण में कुछ मूलभूत अंतर है, स्पष्ट कीजिये

5.     कथा-साहित्य: प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में अभिव्यक्त यथार्थवाद का स्वरुप, आँचलिक औपन्यासिक परम्परा में रेणु का योगदान और महत्व, नाटक-रंगमंच सम्बन्ध और प्रसाद के नाटक, नयी कहानी की प्रवृत्तियाँ और विशेषतायें।
63rd BPSC: प्रसादोत्तर हिन्दी नाटक एवं रंगमंच की प्रमुख प्रवृत्तियों का सोदाहरण उल्लेख कीजिये
63rd BPSC: नयी कहानी के कथ्य और शिल्पगत वैशिष्ट्य की सोदाहरण समीक्षा कीजिये
6.     आलोचना*****: आचार्य शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. नागेन्द्र और रामविलास शर्मा, नामवर सिंह।
62rd BPSC: आचार्य शुक्ल के आलोचना-सिद्धांतों पर प्रकाश डालिए
गद्य एवं पद्य खंड से पूछे जाने वाले प्रश्न:
1.     गोदान*****: कृषक से मजदूर में रूपांतरण, गोदान में चित्रित नारी-समस्या, पात्र-योजना और चरित्रांकन-पद्धति, कृषक जीवन की त्रासदी के रूप में गोदान, गोदान की महाकाव्यात्मकता, वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता
62rd BPSC: ‘गोदान’ के आधार पर किसान-जीवन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए

2.     शेखर: एक जीवनी*****: एक व्यक्ति का अभिन्नतम निजी दस्तावेज़, व्यक्ति बनाम् समाज, जीवनी या उपन्यास, मनोविश्लेषणवादी यथार्थवाद और शेखर एक जीवनी।
62rd BPSC: ‘शेखर: एक जीवनी’ के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिये
3.     अंधेर नगरी*****: नवजागरणपरक चेतना, प्रहसन के रूप में, रंगमंचीयता, वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता
62rd BPSC: ‘अन्धेर नगरी’ के आधार पर सामाजिक-राजनितिक अव्यवस्था का चित्रण कीजिये
4.     चन्द्रगुप्त*****: राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना, नायकत्व की समस्या, प्रसाद के नारी-पात्र, प्रसाद का इतिहास-बोध और इतिहास एवं कल्पना, अभिनेयता।
5.     निबंध: ‘कविता क्या है’ के आधार पर आचार्य शुक्ल की कविता-विषयक दृष्टि, भाव एवं मनोविकार विषयक निबंध के आधार पर आचार्य शुक्ल की निबंध-शैली की विशेषता
63rd BPSC: ‘श्रद्धा और भक्ति’ निबंध के माध्यम से आचार्य शुक्ल ने जो व्यक्त करना चाहा है, उसकी प्रासंगिकता पर विचार कीजिये
62rd BPSC: पठित निबंधों के आधार पर आचार्य शुक्ल की निबंध-कला की समीक्षा कीजिये
6.     कबीर: कबीर का दर्शन, कबीर की भक्ति, सामाजिक चेतना, व्यक्तित्व-विश्लेषण, वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता, कबीर की भाषा
63rd BPSC: कबीरदास और तुलसी के राम में अंतर सोदाहरण स्पष्ट  कीजिये
7.     सूरदास*****: भ्रमरगीत सार का उद्देश्य एवं महत्व, सगुण-निर्गुण विवाद, सूर की भक्ति, प्रेम-चेतना और नारी-चेतना, सूर की श्रृंगार-चेतना: संयोग एवं विरह-श्रृंगार, सूर की अप्रस्तुत-योजना 
8.     राम की शक्ति-पूजा: द्वंद्वात्मकता, मौलिक शक्ति की कल्पना, पौराणिकता एवं नवीनता, नारी-अस्मिता की तलाश, महाकाव्यात्मकता
63rd BPSC: निराला की ‘राम की शक्ति-पूजा’ का वस्तु-विन्यास की दृष्टि से मूल्यांकन कीजिये
9.     सरोज-स्मृति*****: आत्मकथात्मक लम्बी कविता, शोक-गीति के रूप में, निराला की विद्रोही चेतना।  
10.                        कामायनी*****: रूपक के रूप में, मानव-सभ्यता की कहानी के रूप में, नवजागरणपरक चेतना, श्रद्धा का सौंदर्य-चित्रण, प्रसाद का दर्शन, आधुनिक भावबोध 
11.                        अँधेरे में: फंतासी, आत्मसंघर्ष के कवि, अस्मिता की खोज
63rd BPSC: मुक्तिबोध की कविता ‘अँधेरे में’ का क्या मर्म है, बताइए
नोट:
1.    इस गेस वर्क में टॉपिक के रूप में फाइव स्टार रेटिंग वाले टॉपिक्स महत्वपूर्ण हैं, और
2.    प्रश्नों में बोल्ड रेड में उल्लिखित प्रश्न, जिन पर विशेष ध्यान दिए जाने की ज़रुरत है 

No comments:

Post a Comment