Thursday, 28 September 2017

(60-62)वीं BPSC (मुख्य) परीक्षा:ट्रेंड-विश्लेषण और रणनीति Part 3 (भारत और बिहार के इतिहास, कला एवं संस्कृति)

 भारत और बिहार का इतिहास, कला एवं संस्कृति: ट्रेंड-विश्लेषण और रणनीति (BPSC)

“भारत और बिहार के इतिहास, कला एवं संस्कृति खंड” सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न-पत्र का हिस्सा है जहाँ से अबतक 75 अंक के प्रश्न पूछे जाते थे। यह कुल अंकों का 37.5% है। इस आलोक में देखें, तो नए पैटर्न में भी यहाँ से करीब-करीब 115 अंकों के प्रश्न पूछे जाने की संभावना है। इस खंड की तैयारी अपेक्षाकृत कम समय में की जा सकती है, लेकिन इस खंड में बेहतर अंक प्राप्त करने के लिए तैयारी के साथ-साथ उत्तर-लेखन की रणनीति बदलनी होगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बाज़ार में उपलब्ध तमाम अध्ययन-सामग्रियों में किसी प्रकार की भिन्नता नहीं है, जो छात्रों के लिए चिंता का विषय है। सबसे पहले पिछली पाँच मुख्य परीक्षाओं के दौरान इस खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों के रुझानों पर गौर करें, तो इस खंड को निम्न टॉपिकों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
  1.  कला एवं संस्कृति
  2.   बिहार पर औपनिवेशिक शासन का प्रभाव
  3.  जनजातीय विद्रोह और 1857 का विद्रोह
  4.   आधुनिक भारत और बिहार में राष्ट्रीय आन्दोलन
  5.    व्यक्तित्व-आधारित प्रश्न

     भारत एवं बिहार के इतिहास कला एवं संस्कृति खंड से पूछे गए प्रश्न


  (56-59)th         BPSC
(53-55)th BPSC
(48-52)th BPSC
 47th BPSC               
   46th       BPSC           
1.पटना कलम चित्रकारी की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये.
2.संथाल विद्रोह के मुख्य कारणों का विवरण दीजिये. उनके क्या प्रभाव हुए?
3.बिहार के सन्दर्भ में 1857 की क्रांति के महत्व की आलोचनात्मक विवेचना कीजिये.
4.किसान विद्रोहों के लिए चम्पारण सत्याग्रह के महत्व को स्पष्ट कीजिये.
5.राष्ट्रवाद को परिभाषित कीजिये. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे किस प्रकार परिभाषित किया?
6.आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरु की भूमिका की समीक्षा कीजिये.

1.मौर्य कला की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिये.
2.“बिरसा आन्दोलन का आधारभूत उद्देश्य था आतंरिक शुद्धिकरण तथा विदेशी शासन की समाप्ति की इच्छा”. स्पष्ट कीजिये.
3.1857 की क्रांति में कुंवर सिंह के योगदान का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये.
4.1940-41 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में बिहार के योगदान का वर्णन कीजिये.
1.रबीन्द्रनाथ टैगोर के सामाजिक और सांस्कृतिक विचारों की महत्ता का वर्णन कीजिये.
2. 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में बिहार के योगदान का वर्णन करें.
3. बिहार में संथाल विद्रोह (1855-56) के कारण एवं परिणामों का विवेचन करें.
4. पटना कलम चित्रकारी की प्रमुख विशेषताओं का विवेचना कीजिये.
1.मौर्य कला एवं स्थापत्य की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये.
2.बिहार में 1857 के विद्रोह के उद्दभव के कारणों की विवेचना करें तथा उसकी असफलता का उल्लेख करें.
3.क्या आप इस बात से सहमत हैं कि चंपारण सत्याग्रह भारत के स्वंत्रता संघर्ष के इतिहास में एक परिवर्तनीय बिंदु था?
4.अपने अध्ययन काल में बिहार में तकनीकी शिक्षा के विकास का वर्णन करें.
1. पाल कालीन स्थापत्य एवं मूर्ति कला की मुख्य विशेषताएं बताएं.
2.बिहार के जनांदोलनों में गाँधीजी की भूमिका का विश्लेषण करें.
3.आधुनिक बिहार में शिक्षा एवं प्रेस के विकास की व्याख्या कीजिये एवं स्वतंत्रा आन्दोलन में शिक्षा एवं प्रेस की भूमिका बताये.
4.बंगाल से बिहार के अलग होने एवं आधुनिक बिहार के उदय पर प्रकाश डालिए.


मुख्य परीक्षा की रणनीति
1.  कला एवं संस्कृति: इस खंड से मुख्यतः बिहार से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। उसमें भी मुख्य जोर पटना कलम और मौर्य कला एवं स्थापत्य पर रहता है तथा सामान्यतः वहीँ से अदल-बदलकर प्रश्न पूछे जाते हैं। बीच-बीच में पाल कला एवं स्थापत्य से भी प्रश्न पूछे जाते हैं। (56-59)वीं BPSC (मुख्य) परीक्षा में पटना कलम शैली से प्रश्न पूछे गए हैं, इसीलिए इस बार निम्न टॉपिकों से प्रश्न पूछे जाने की सम्भावना प्रबल है: मौर्य कला एवं स्थापत्य तथा पालकालीन स्थापत्य एवं मूर्ति-कला। इसके अलावा कभी भी मधुबनी पेंटिंग्स पर भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं, इसीलिए इसे अवश्य तैयार कर लें। ट्रेंड में बदलाव की स्थिति में प्रश्नों को रिपीट भी किया जा सकता है, इसीलिए पटना-कलम शैली को तैयार करना उचित रहेगा। ऐसी स्थिति में आप एक प्रश्न के लिए निश्चिन्त रह सकते हैं। 
2.  बिहार पर औपनिवेशिक शासन का प्रभाव: इस टॉपिक के अंतर्गत बिहार पर औपनिवेशिक शासन के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव, औपनिवेशक शासन के दौरान पश्चिमी शिक्षा और विशेष रूप से तकनीकी एवं वैज्ञानिक शिक्षा के विकास तथा प्रेस के विकास से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इस खंड से पिछली तीन मुख्य परीक्षाओं में कोई प्रश्न नहीं पूछा गया है, इसीलिए इस खंड से इस बार प्रश्न पूछे जाने की सम्भावना प्रबल है।   
3. जनजातीय विद्रोह और 1857 का विद्रोह: सामान्यतः इस टॉपिक से पूछे जाने वाले प्रश्न बिहार एवं झारखण्ड से सम्बद्ध होते हैं। ये प्रश्न या तो संथाल विद्रोह और उसे नेतृत्व प्रदान करने वाले सिद्धो-कान्हो से सम्बंधित होंगे, या फिर मुण्डा विद्रोह और उसे नेतृत्व प्रदान करने वाले बिरसा मुण्डा से। इस खंड से कई बार प्रश्न पूछे भी जाते हैं और कई बार नहीं भी। ये प्रश्न विद्रोह के कारणों, इसकी प्रकृति और इसके नेतृत्व की भूमिका पर आधारित हो सकते हैं। चूँकि (56-59)वीं BPSC (मुख्य) परीक्षा में संथाल विद्रोह के कारण और परिणाम से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए हैं, इसीलिए इस बार इस खंड से प्रश्न पूछे जाने की स्थिति में इस बात की पूरी संभावना है कि या तो मुण्डा विद्रोह के कारण, स्वरुप एवं परिणाम  के रूप में प्रश्न हो, या फिर बिरसा मुण्डा की भूमिका पर व्यक्तित्व आधारित प्रश्न पूछे जायें। एक संभावना यह भी बनती है कि संथाल विद्रोह में सिद्धो-कान्हो की भूमिका को लेकर प्रश्न पूछे जायें।
  जहाँ तक 1857 के विद्रोह का प्रश्न है, तो इससे भी प्रश्न पूछे जाने की बारंबारता अपेक्षाकृत अधिक है। ये प्रश्न या तो कारण, परिणाम और स्वरुप पर आधारित होते हैं; या फिर इस विद्रोह में कुँवर सिंह की भूमिका पर। इसीलिए इस विद्रोह को बिहार के विशेष सन्दर्भ में तैयार किये जाने की जरूरत है। 
  यहाँ पर इस बात को ध्यान में रखे जाने की जरूरत है कि अक्सर परीक्षार्थी इस टॉपिक पर एक ही प्रश्न तैयार करके जाते हैं और कुछ भी पूछा जाय, एक ही उत्तर लिखकर आते हैं, जबकि प्रश्न के हिसाब से उत्तर की प्रस्तुति बदल जायेगी। इसीलिए इस बात को विशेष रूप से ध्यान में रखना चाहिए कि उत्तर में जो पूछा जा रहा है, उसे लिखना अपेक्षित है; न कि आप जो जानते हैं, वो लिखा जाना। इसीलिए प्रश्न की माँग के अनुरूप उत्तर लिखने की आदत डालें।
4, आधुनिक भारत और बिहार में राष्ट्रीय आन्दोलन: इस खंड में पूछे जाने वाले प्रश्न राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बंधित होंगे। यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में बिहार से सम्बंधित आन्दोलनों, यथा: बंगाल-विभाजन, चंपारण-सत्याग्रह और भारत छोडो आन्दोलन एवं आज़ाद दस्ता से बिहार के विशेष सन्दर्भ में प्रश्न पूछे जाते हैं, तथापि इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रीय आन्दोलन से पूछे जानेवाले प्रश्नों में कहीं अधिक विविधता हो। इस आलोक में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और व्यक्तिगत सत्याग्रह के साथ-साथ 1940-47 के दौरान राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास से सम्बंधित प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इस टॉपिकों को, जहाँ तक संभव हो सके, बिहार के विशेष सन्दर्भ में तैयार करने की ज़रुरत है।
5.  व्यक्तित्व-आधारित प्रश्न: इसके अतिरिक्त इस खंड से गाँधी-नेहरु-टैगोर पर व्यक्तित्व-आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। पिछले वर्ष इस टॉपिक से चार वर्षों के अंतराल पर नेहरु और टैगोर से सम्बंधित दो प्रश्न पूछे गए। संभव है कि आनेवाले समय में इस टॉपिक को अधिक महत्व दिया जाय। अगर ऐसा होता है, तो जोखिम बढ़ जाएगा। इसीलिए इस सन्दर्भ में अधिक सावधान रहने की ज़रूरत है। इसके अतिरिक्त कुँवर सिंह, सिद्धो-कान्हो, बिरसा मुण्डा और जय प्रकाश नारायण से सम्बंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।  
  स्रोत-सामग्री:
  सार्थक बीपीएससी स्पेशल: कुमार सर्वेश, संजय कुमार सिंह, डॉ. संजय सिंह  एवं अन्य





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