Friday, 28 October 2016

Indian Polity For Mains-2016 (Dhyeya IAS)

                                Indian Polity  For Mains-2016
                                                
1.      ‘अनु. 370 एक स्थिर संकल्पना होने की बजाय एक विकसनशील संकल्पना है. इसने कश्मीर समस्या को जटिल स्वरुप प्रदान किया है.” इस कथन के औचित्य का परीक्षण करें.
Article 370 has passed through and still passing through the process of evolution. It has complicated the Kashmir problem. Examine its rationals.
2.      अनु. 370 को हटाया जाना कश्मीर समस्या के समाधान के मार्ग को प्रशस्त करने के बजाय आतंरिक सुरक्षा के समक्ष मौजूद चुनौतियों को कहीं अधिक जटिल बनाएगा. आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? तर्कसहित उत्तर दें.
Removing the article 360 wil not pave the way for solving Kashmir problem, but it will complicate the internal security’s  challenges. How far do you agree with this statement.
3.      हाल में नागरिकता अधिनियम,1955 एक बार फिर से चर्चा में है. इसमें क्या-क्या संसोधन प्रस्तावित हैं और इन संशोधनों को लेकर किस प्रकार के विवाद उभरकर सामने आये हैं?
Recently the Citizenship act of 1955 is in news. what amendments have been proposed in it and what are the controversies related to it?
4.      राजद्रोह क़ानून और आपराधिक अवमानना कानून की मौजूदगी इस बात का संकेत देती है कि संविधान जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार घोषित करता है, वह अभी अधूरी है. इस कथन पर विचार करें.
The existence of the sedition act and the criminal defamation act indicate that the freedom of speech, declared fundamental right by Indian constitution, is incomplete right now. Consider this statement.  

5.      युक्तियुक्त निर्बन्धन क्या है? हाल में अनुच्छेद 19(1a) से सम्बंधित अभिव्यक्ति की आजादी के सन्दर्भ में इससे सम्बंधित क्या विवाद रहे हैं? क्या आपको ऐसा लगता है कि इसकी तत्काल समीक्षा और पुनर्परिभाषा की जरूरत है?
What is reasonable restriction? What is the recent debate about it in the context of freedom of speech mentioned in article 19(1a)? Do you think that there is an immediate need to review and redefine it?
6.      मुरूगन मामले में चेन्नई हाईकोर्ट के फैसले और अभिव्यक्ति की आजादी के सन्दर्भ में इसके महत्व पर चर्चा करें.
Discuss the Chennai High Court verdict in Murugan Case and its significance in the context of freedom of speech.

7.  अगर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 की धारा 66A पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है, तो यह साइबर अपराध और इसकी चुनौतियों को जटिलता भी प्रदान करता है. विवेचना करें.
If Supreme Court’s verdict on Section 66A of IT Act,2000  protects the fundamental right of Freedom of Speech, then, at the same time, it also complicates the issue of cyber crime as well as its challenges. Discuss.
8.  आधार बिल सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के साथ साथ निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इस बिल के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें.
Aadhar Bill  violates the SC’s Directives as well as right to privacy. Critically evaluate this statement in the light of the provisions of Aadhar Bill.
9.  बाल श्रम अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन बाल श्रम के विरुद्ध संघर्ष को कमजोर करने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक हितों को प्रतिकूलतः प्रभावित करेगा. इस कथन पर विचार करें.
Proposed amendment in the Child Labour act will weaken the fight against child labour as well as hamper the longterm interest of Indian  economy. Consider this statement.
10. अपडेशन के जरिये वैयक्तिक विधि की विसंगतियों को दूर करना और उसे आधुनिक अपेक्षाओं के अनुरूप बनाना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, न कि समान नागरिक संहिता(Common Civil Code) का निर्माण. इस कथन के औचित्य का निर्धारण करें.
Removing the inconsistencies of personal laws and making it at par with modern aspirations trough its updation is more important than formation of common civil code. Determine its rationals.
11. हाल में तिहरे तलाक का मुद्दा सर्वाधिक विवादित मुद्दे के रूप में उभर कर सामने आया है. इससे सम्बंधित संवैधानिक जटिलताओं का उल्लेख करते हुए बतलाइए कि क्या यह सामान नागरिक संहिता की दिशा में बढ़ने का उपयुक्त समय है?
Recently the issue of triple talaq has been emerged as the most contentious issue in India. Discussing the constitutional complexities, make it clear whether it is a right time to move towards Common Civil Code?
12. हाल के विवादों के आलोक में न्यायिक नियुक्ति-प्रक्रिया  से सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर विचार करें. क्या आपको नहीं लगता है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एक प्रतिगामी कदम है?
In the context of recent debate, consider the judgement of Supreme court regarding judicial appointment process. Don’t you think that SC’s judgement on NJAC is a regressive step?
13. न्यायिक अतिक्रम ने संवैधानिक संतुलन को पलट दिया है. समीक्षा करें.
Judicial Overreach has reversed the constitutional balance.  Review it.
14. न्यायिक उत्तरदायित्व न्यायपालिका के प्रभावी प्रकार्यण और विश्वसनीयता के लिए आवश्यक है. इसके रास्ते में क्या अवरोध हैं और इन्हें किस तरह दूर किया जा सकता है?
“Judicial Accountability is the key to effective functioning and credibility of judiciary.’ What are the major constraints and how it can be removed.
15. ‘लाभ का पद’ क्या है? इस पर संवैधानिक रोक का क्या महत्व है? हाल के विवादों के आलोक में इससे सम्बंधित मुद्दों पर चर्चा करें?
What is ‘Office of the Profit’? How is constitutional provision regarding it  significant? Discuss the issues involved in the context of recent debates?
16. हाल में मंदिर और मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा एक संवेदानशील मुद्दे के रूप में उभरा है. न्यायालय के निर्णयों के आलोक में इससे जुड़े हुए विविध पहलुओं की समीक्षा करें.
Recently entry of women in Temples and Mosques is in news. In the light of judicial decisions, review the various  issues involved in it.
17. हाल के घटनाक्रमों ने एक बार फिर से दल-बदल अधिनियम की विसंगतियों को उद्घाटित करते हुए इसमें अविलम्ब सुधार की आवश्यकता का संकेत दिया है. इस कथन पर विचार करें.
Recent developments has indicated towards the immediate needs of reform in the Anti-defection Law by exposing its inconsistencies. Consider this statement.
18. हाल में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने  राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका को पुनर्परिभाषित किया है. वे कौन सी परिस्थितियाँ हैं जिन्होंने राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता को जन्म दिया?
Recently the decision of supreme court has redefined the role of the Speaker and the Governor. Which circumstances led towards the redefinition of the role of Speaker and the Governor?
19. राष्ट्रपति की प्रसाद-पर्यन्तता के प्रावधान ने राज्यपाल के पद के राजनीतिकरण को संभव बनाया है और इससे इसकी गरिमा एवं मर्यादा पर प्रतिकूल असर पड़ा है.  इस कथन का परीक्षण करें.
20. The “at the pleasure of the President” provision related to the governor  politicized this post and it has affected the prestige of this post adversely. Examine this statement.
21.  भारतीय दलीय प्रणाली और इससे सम्बद्ध संस्थाओं के रूपांतरण के कारण   अंतर्राज्यीय परिषद् का गठन अपरिहार्य हो गया था. इस कथन पर विचार करते हुए बतलाइए कि हाल में संपन्न अंतर्राज्यीय परिषद् की बैठक में राज्यों द्वारा दिए जाने वाले सुझाव किस प्रकार संघवाद को मजबूती प्रदान करने में सक्षम हैं?
The establishment of the ISC was necessitated by the changes in the Indian party system and the institutional transformations associated with it. Considering this statement, explain how the suggestions given by the states in the meeting of ISC will strengthen the federalism?

22.  हाल में उत्तराखंड और अरुणाचल मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया निर्णय आनेवाले समय में केंद्र-राज्य सम्बन्ध को निर्धारित करने में मील का पत्थर साबित होगा,कैसे? स्पष्ट करें.
Recently the SC’s judgement in Uttarakhand and Arunachal case will be proved as a milestone in determining the centre-state relation,how? Explain.

23.  हाल में धन विधेयक विवादों में रहा है. इससे सम्बंधित विवाद के कारणों की चर्चा करते हुए संसदीय लोकतान्त्रिक  राजनीति के सन्दर्भ में इन विवादों की अहमियत को उद्घाटित करें.
Recently money bill is in news. Explaining the reason of recent debate, explore its significance in the context of parliamentary democratic politics.



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