ट्रेंड-विश्लेषण
और रणनीति:
पार्ट 2: भारतीय
अर्थव्यवस्था (69th BPSC Mains)
अर्थव्यवस्था खण्ड की अहमियत:
बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित मुख्य परीक्षा में सामान्य
अध्ययन द्वितीय पत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था और भूगोल खण्ड से प्रश्न साथ-साथ
पूछे जाते हैं, लेकिन इनमें प्रमुखता अर्थव्यवस्था खण्ड की होती है। अबतक इस खण्ड से 4 प्रश्न पूछे जाते है, लेकिन 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में
सामान्य अध्ययन के प्रश्न-पत्र में बदलाव के बाद इस खण्ड से पूछे जाने वाले
प्रश्नों की संख्या बढ़ी है। अब इस खण्ड से 5 टिप्पणी वाले प्रश्न एवं 4 फुल
क्वेश्चन, और इस तरह से कुल-मिलाकर 9 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इनमें अभ्यर्थियों
से 7 प्रश्नों: टिप्पणी वाले सभी 5 प्रश्नों और दो 38 अंक वाले प्रश्नों के हल की
अपेक्षा की गयी है। अबतक सामान्यतः 1 प्रश्न भूगोल और विशेष रूप से कहें, तो
आर्थिक भूगोल से रहे हैं और शेष प्रश्न अर्थव्यवस्था से। कभी-कभी तो चारों प्रश्न
अर्थव्यवस्था से ही रहे हैं। लेकिन, अर्थव्यवस्था खण्ड का महत्व उससे कहीं ज्यादा है, जितना यह दिखता है। कारण यह कि कई बार सामान्य अध्ययन प्रथम पत्र में करेंट
सेक्शन के अंतर्गत और कई बार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सेक्शन के अंतर्गत भी
अर्थव्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
68वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा
यदि 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में
पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण करें, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इसने
अर्थव्यवस्था और भूगोल-खण्ड के सिलेबस को पुनर्परिभाषित किया है। इस खण्ड से न केवल प्रश्नों की संख्या बढ़ी है
और विकल्प सीमित हुए हैं, वरन् प्रश्नों की प्रकृति में भी बदलाव आये हैं। इस खंड
से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति में आने वाले बदलावों को निम्न सन्दर्भों
में देखा जा सकता है:
1. अब व्यापक कवरेज की ज़रुरत: अबतक प्रश्नों की संख्या सीमित थी और उनका दायरा भी सीमित था, इसलिए थोड़े रिस्क के साथ पूरे सिलेबस की जगह सेलेक्टिव स्टडी संभव था। लेकिन, अब चूँकि प्रश्नों की संख्या भी बढ़ी है, विकल्प भी सीमित हुए हैं और उनका दायरा भी बढ़ा है, इसलिए सेलेक्टिव स्टडी और सिलेबस के लिमिटेड कवरेज से काम नहीं चलने वाला है। अब पूछे जा रहे प्रश्नों के आलोक में सिलेबस को पुनर्परिभाषित करने की ज़रुरत भी है और उसके व्यापक कवरेज की ज़रुरत भी। अब सेलेक्टिव स्टडी के जोखिम कहीं अधिक हैं।
2. भूगोल खण्ड से पूछे जाने वाले प्रश्नों की ओर बढ़ता रुझान: हाल के वर्षों में भूगोल से प्रश्न पूछे जाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में भी पूछे गये चार प्रश्न: 2 टिप्पणियाँ और 2 प्रश्न भूगोल से सम्बंधित थे।
3. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता रुझान: हाल के वर्षों में बिहार पर आधारित प्रश्नों की संख्या बढ़ी थी, लेकिन इस बार नेशनल इकॉनोमी की ओर प्रश्नों के रुझान बढ़े हैं। इस बार 4 टिप्पणियाँ और 2 प्रश्न ऐसे पूछे गये, जिनका सम्बंध बिहार की बजाय भारतीय अर्थव्यवस्था से जाकर जुड़ता है। इसका मतलब यह नहीं है कि बिहार की अर्थव्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न नहीं पूछे गए। इस बार भी बिहार की अर्थव्यवस्था से सम्बंधित 3 प्रश्न पूछे गए: 1 टिप्पणी और 2 फुल क्वेश्चन। मतलब यह कि प्रश्नों की संख्या में वृद्धि का लाभ मूल रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिला।
4. अपडेशन पर आधारित प्रश्न: जहाँ तक
अर्थव्यवस्था खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति का प्रश्न है, तो कुछ समय पहले तक
पारंपरिक प्रकृति वाले प्रश्नों की ओर रुझान कहीं अधिक था, यद्यपि
समसामयिक परिदृश्य से भी प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। ऐसे प्रश्न सामान्यतः कृषि,
गरीबी, बेरोजगारी एवं जनांकिकी से सम्बंधित
होते थे, लेकिन हाल के वर्षों में समसामयिक परिदृश्य
से प्रश्न पूछे जाने की प्रवृत्ति तेज़ हुई है।
यहाँ तक कि पारम्परिक टॉपिकों से पूछे जाने वाले
प्रश्नों की प्रकृति में भी बदलाव देखे जा सकते हैं। 67वीं बीपीएससी (मुख्य)
परीक्षा में तो समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था से पूछे जाने वाले
प्रश्नों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक थी। इस बार 4 टिप्पणियाँ: राष्ट्रीय
लॉजिस्टिक्स नीति, 2022; अटल इनोवेशन मिशन 2.0,
बिहार में नगरीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए
कदम एवं वर्ष 2022 में भारत में मॉनसून की अनियमितता और भारत
में ग्रामीण-शहरी डिजिटल विभाजन, 2022; भारत के वैश्विक
व्यापार संबंध, फरवरी 2022 में ट्राई द्वारा जारी रिपोर्ट
तथा नीली अर्थव्यवस्था का भारत के लिए महत्व और इसे बढ़ावा देने के लिए भारत
द्वारा उठाए गए कदम फुल क्वेश्चन पूछे गए। इस प्रकार कुल-मिलाकर 8 प्रश्न ऐसे थे
जिन्हें रेस्पोंड करने के लिए अपडेशन की ज़रुरत थी। उदाहरण के रूप में, 66वीं
बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में कोविड-19 महामारी
के फैलाव के बाद 'आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना', भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक आधारभूत
व्यापार एवं निवेश समझौता, बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक
सर्वेक्षण पर आधारित प्रश्न, जनांकिकीय लाभांश और यू. एन. एफ. पी. ए. की रिपोर्ट
आदि प्रश्न आर्थिक समसामयिकी से सम्बंधित थे। 65वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में आर्थिक
समसामयिकी से सम्बंधित दो प्रश्न: ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स,2020
और लॉकडाउन के सामाजिक, आर्थिक एवं पारिस्थितिक निहितार्थ
पूछे गए। 64वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में भी कर्रेंट सेक्शन में अर्थव्यवस्था से सम्बंधित दो प्रश्न: मानव-विकास रिपोर्ट,2019 और संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान
नेटवर्क(UNSDNS) पूछे गए। इसी
प्रकार (60-62)वीं
बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में कर्रेंट सेक्शन के अंतर्गत दो प्रश्न: विमुद्रीकरण एवं जीएसटी
और (55-59)वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में 13वें
वित्त-आयोग और विश्व व्यापार संगठन(WTO) के कृषि-समझौता करार
से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए, जो अर्थव्यवस्था से सम्बंधित
थे।
5. इंटर-डिस्सिप्लिनरी एप्रोच की बढ़ती अहमियत: हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था से सम्बंधित प्रश्नों में भी
इंटर-डिस्सिप्लिनरी एप्रोच की अहमियत बढ़ी है। 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में
अर्थव्यवस्था-खण्ड में अंतर्विषयक दृष्टिकोण पर आधारित प्रश्न पूछे गए। ये प्रश्न
आर्थिक भूगोल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और प्रश्न चाहे बिहार में नगरीकरण का
निम्न स्तर, कारण और इस दिशा में की गयी पहल से सम्बंधित हो; या फिर हिन्द महासागर
की द्विध्रुवीय गति, मानसून की अनियमितता और खाद्य-उत्पादन एवं अर्थव्यवस्था
पर उसका प्रभाव से सम्बंधित: ये दोनों प्रश्न भूगोल और अर्थव्यवस्था के
अंतर्सम्बंधों से सम्बंधित हैं। नीली अर्थव्यवस्था वाला प्रश्न भी भू-आर्थिकी और
अर्थव्यवस्था के अंतर्संबंधों पर आधारित है। इसी प्रकार भारत में ग्रामीण-शहरी
विभाजन एवं डिजिटल डिवाइड और इसे कम करने की दिशा में भारत सरकार की पहल वाला
प्रश्न भी अर्थव्यवस्था, भूगोल एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अंतर्सम्बंधों पर
आधारित है। इस आलोक में 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में पूछे गए निम्न
प्रश्नों को देखा जा सकता है:
a.
Write a note on Technology driven modernization of Bihar. (Short Notes)
प्रौद्योगिकी-आधारित
बिहार के आधुनिकीकरण पर एक नोट लिखिए।
b.
With the mission of providing potable water to every household on
one hand and water scarcity on the face of growing population on the other,
throw light on the role being played by the Indian Government for water
conservation. Also discuss the scientific and technological developments which
have been used by the State of Bihar in fulfilling the objectives of the
Central Government.
एक तरफ प्रत्येक
परिवार को पीने योग्य जल की उपलब्धता का उद्देश्य एवं दूसरी तरफ बढ़ती आबादी के
कारण जल की कमी को ध्यान में रखते हुए, जल संरक्षण में भारत सरकार की भूमिका पर प्रकाश
डालिए। साथ ही केन्द्रीय सरकार के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बिहार राज्य द्वारा
अपनाये गये वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास की विवेचना कीजिए।
पिछले कुछ वर्षों से साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेक्शन
से भी ऐसे प्रश्न पूछे जा रहे हैं जो आर्थिक सन्दर्भों में इमर्जिंग नेशनल
चैलेंजेज से सम्बंधित हैं। 65वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सेक्शन के अंतर्गत पूछे गए तीन प्रश्नों: ‘मेक इन इंडिया’ को गति प्रदान
करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका; बढ़ती हुई जनसंख्या, उच्च स्वास्थ्य ज़ोखिम, घटते हुए प्राकृतिक संसाधन और घटती जा रही कृषि-भूमि: जैसी आर्थिक चुनौतियों से निबटने में विज्ञान
एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका और नौकरियों पर संकट की स्थिति को नियंत्रित करने तथा राष्ट्र के विकास की
गति को बनाये रखने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका से
सम्बंधित प्रश्नों को देखा जा सकता है। 64वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में भी इस सेक्शन से जल-प्रबंधन, शहरीकरण-प्रबंधन और ऊर्जा-प्रबंधन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका से
सम्बंधित तीन प्रश्न पूछे गए। उपरोक्त विश्लेषण न केवल अर्थव्यवस्था-खण्ड की
अहमियत को उद्घाटित करता है, वरन् उसमें अपडेशन एवं इंटर-डिस्सिप्लिनरी एप्रोच की महत्ता को भी रेखांकित करता है।
6. अपारम्परिक प्रकृति के प्रश्न: अबतक
इस खण्ड से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति पर गौर करें, तो वे पारम्परिक
प्रकृति के कहीं अधिक रहे हैं। इनमें फोकस गरीबी, बेरोजगारी, जनांकिकीय लाभांश, मानव-विकास, व्यापक
सामाजिक-आर्थिक-क्षेत्रीय विषमता, कृषि, खाद्य-सुरक्षा, कृषि-आधारित उद्योग आदि से
सम्बंधित रहे हैं। हाँ, इनके साथ आर्थिक समसामयिकी से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे
जाते रहे हैं। लेकिन, इस बार प्रश्नों का रुझान बदला है। ऊपर जिन टॉपिकों की चर्चा
की गयी है, वे इस बार गायब दिखायी पड़े और उनकी जगह पर नए टॉपिकों को जगह मिली।
इसने सिलेबस के दायरे को विस्तार दिया है।
7. सरकारी नीतियों, योजनाओं एवं
कार्यक्रमों की बढती अहमियत: बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में इस टॉपिक से
प्रत्यक्षतः या परोक्षतः सम्बद्ध प्रश्न हमेशा से पूछे जाते रहे हैं, लेकिन हाल
में इनसे सम्बंधित प्रश्नों की ओर रुझान बढ़ा है। इस बार भी राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स
नीति,2022 और अटल इनोवेशन मिशन वाले प्रश्न को इसके उदाहरण के रूप में देखा जा
सकता है। इसके अलावा, नगरीकरण, डिजिटल डिवाइड, वैश्विक व्यापार और नीली
अर्थव्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न का एक आयाम भी इनसे जाकर जुड़ता है। 67वीं बीपीएससी (मुख्य)
परीक्षा में भी महिला सशक्तिकरण और जीविका, औद्योगिक विकास के लिए
बिहार सरकार द्वारा उठाए गए कदम, नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक,2021 और बिहार
सरकार द्वारा उठाये गए सुधारात्मक कदम को इस परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
इसी प्रकार 66वीं
बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में आत्मनिर्भर भारत रोजगार स्कीम, बिहार
में सामाजिक-आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए उठाये गए कदम, जनांकिकीय लाभांश
एवं इसमें अन्तर्निहित संभावनाओं के दोहन के लिए बिहार सरकार द्वारा की गयी
पहल, मानव-विकास और सात निश्चय स्कीम से सम्बंधित प्रश्न भी इसे पुष्ट करते हैं। इन प्रश्नों
को प्रभावी तरीके से रेस्पोंड करने के लिए भारत सरकार और बिहार सरकार के बजट के
साथ-साथ आर्थिक समीक्षा से गुजरना आवश्यक है। इनसे गुज़रे बिना और इन्हें तैयार
किये बिना इस सेक्शन से पूछे जाने वाले प्रश्नों को टैकल कर पाना बहुत ही मुश्किल
है।
बदलते हुए ट्रेण्ड पर विचार के पश्चात् एक बार उन प्रश्नों को देखे
जाने की ज़रुरत है जो 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में पूछे गए हैं। लेकिन, उसके पहले प्रश्नों की बढती
संख्या, शॉर्टनोट्स और समय-प्रबंधन से सम्बंधित पहलुओं पर विचार अपेक्षित है
शॉर्टनोट्स के लिए उपयुक्त रणनीति:
डाटा
इंटरप्रिटेशन को छोड़कर प्रत्येक खण्ड में एक अनिवार्य प्रश्न पूछा जाता है जिसमें
5 शॉर्टनोट्स लिखने होते हैं। इसके कारण न केवल प्रश्नों की संख्या बढ़ी है, वरन् प्रश्नों की प्रकृति
में भी बदलाव आये हैं। लेकिन,
शॉर्टनोट्स के सन्दर्भ में मूल समस्या यह है कि इन्हें लिखने के लिए महज 4 मिनट का
समय है और इतने समय में अधिक-से-अधिक 80-90 शब्द लिखे जा सकते हैं जिसे मैनेज करना
आसान नहीं होने जा रहा है। इस सन्दर्भ में दूसरी समस्या यह है कि इतिहास, कला एवं
संस्कृति खंड को छोड़ अन्य सभी खण्डों में फुल क्वेश्चन को ही उठा कर शॉर्टनोट्स
के रूप में डाला जा रहा है। इन समस्याओं का समाधान संभव है, बशर्ते अभ्यर्थी निम्न
बातों को ध्यान में रखें:
1. प्रश्न की मूल माँग को ध्यान में रखें।
2. इस बात को भी ध्यान में रखे जाने की आवश्यकता है कि अक्सर शॉर्टनोट्स
में एक साथ दो-दो/तीन-तीन आयाम समाहित होते हैं और उन सारे आयामों को रेस्पोंड
किये जाने की आवश्यकता है।
3. लिखते वक़्त तथ्यों के सापेक्षिक महत्व को ध्यान में रखें। अधिक
महत्वपूर्ण बिन्दुओं को फोकस करें और कम महत्वपूर्ण बिन्दुओं को लिखने से परहेज़
करें।
4. उत्तर लिखते वक़्त जहाँ तक संभव हो सके, शॉर्टनोट्स को पॉइंट्स फॉर्म
में लिखने की आदत डालें।
5. इसके अलावा, शॉर्टनोट्स को ध्यान में रखते हुए अध्ययन की रणनीति भी
बदलनी होगी, पिछली परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के अलोक में कल्पना के सहारे
सिलेबस को भी पुनर्परिभाषित करना होगा और पारम्परिक प्रकृति वाले प्रश्नों को भी
ध्यान में रखना होगा।
68वीं बीपीएससी: पूछे गए शॉर्टनोट्स:
1. National
Logistics Policy, 2022 along with PM Gati Shakti Plan would revolutionise logistics
efficiency in India." Elucidate.
"राष्ट्रीय
लॉजिस्टिक्स नीति, 2022 प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के साथ
भारत में लॉजिस्टिक्स दक्षता में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।" स्पष्ट कीजिए।
68वीं बीपीएससी
(मुख्य) परीक्षा में पूछा गया यह प्रश्न राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022 और प्रधानमंत्री
गति-शक्ति योजना के देश की लॉजिस्टिक्स दक्षता पर समन्वित प्रभाव पर आधारित है।
इसमें पूछा यह जा रहा है कि ये दोनों नीतियाँ और योजनायें किस प्रकार देश की लॉजिस्टिक्स
दक्षता में क्रान्तिकारी बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेंगी। यहाँ पर यह स्पष्ट करना
आवश्यक है कि इसके कारण किस प्रकार लॉजिस्टिक्स लागत में कमी भी आयेगी, तीव्र एवं
सुरक्षित परिवहन को सुनिश्चित किया जा सकेगा और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट: सड़क,
रेलवे और पोर्ट के ज़रिये अवसंरचनात्मक विकास को गति प्रदान करते हुए
परिवहन ढाँचे को कहीं अधिक विविधता प्रदान की जा सकेगी। यह विदेशी व्यापार
अवसंरचनात्मक ढाँचे को किन रूपों में प्रभावित करेगा? ध्यातव्य है कि सन् 2014 में
सम्पन्न विश्व व्यापार संगठन के मन्त्री-स्तरीय सम्मलेन में सदस्य-देशों के बीच व्यापार
सुविधा-प्रदायन समझौते (TFA) पर सहमति बनी, जिसकी विकसित देशों के द्वारा लम्बे
समय से माँग की जा रही थी। इस मसले पर महज 4 मिनट और 100 शब्दों में टिप्पणी लिखनी
है।
2. Explain how Atal
Innovation Mission (AIM) is promoting innovation and entrepreneurship across
India. Discuss briefly various initiatives of Atal Innovation
Mission like 'Mentor India', 'Atal Incubation Centres' and 'Atal New India
Challenge'.
अटल इनोवेशन
मिशन किस प्रकार पूरे भारत में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहा है।
व्याख्या कीजिए। 'मेंटर इंडिया', 'अटल इन्क्यूबेशन
सेंटर्स' और 'अटल न्यू इंडिया चैलेंज'
जैसे अटल इनोवेशन मिशन की विभिन्न पहलों पर संक्षेप में चर्चा
कीजिए।
अनुसंधान और
विकास के क्षेत्र में भारत दुनिया के पिछड़े देशों में से एक है और इसका इसकी
संवृद्धि एवं विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नवाचार और उद्यमशीलता के
सन्दर्भ में भारत की इसी पिछड़ी हुई स्थिति को ध्यान में रखते हुए अटल इनोवेशन मिशन
की शुरुआत की गयी, जो इस बात का संकेत लेकर आता है कि अनुसन्धान एवं विकास को लेकर
भारत का नजरिया बदल रहा है। इसके अन्तर्गत 'मेंटर इंडिया', 'अटल इन्क्यूबेशन
सेंटर्स' और 'अटल न्यू इंडिया चैलेंज'
जैसी पहलों के ज़रिये नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस
प्रश्न में यह स्पष्ट करना है कि ये पहलें किस प्रकार नवोन्मेष और उद्यमिता को
प्रोत्साहित करती हैं और इसके लिए ऊपर से नीचे तक बृहत् संस्थात्मक ढाँचे का
निर्माण करती हैं?
3. Discuss the level of
urbanization in Bihar. Explain at least two reasons for the low level of
urbanization in the State. What are the recent initiatives taken by Bihar
Government to push urbanization in the State?
बिहार में
नगरीकरण के स्तर पर चर्चा कीजिए। राज्य में नगरीकरण के निम्न स्तर से सम्बंधित
कम-से-कम दो कारणों की व्याख्या कीजिए। राज्य में नगरीकरण को बढ़ावा देने के लिए
बिहार सरकार द्वारा हाल ही में क्या कदम उठाए गए हैं?
इस प्रश्न में
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बिहार में नगरीकरण की स्थिति पर विचार करते हुए उसके
निम्न स्तर और उसके कारणों की चर्चा करनी है और यह बतलाना है कि हाल में बिहार
सरकार ने इसे प्रोत्साहित करने के लिए कौन-सी पहलें की हैं। ध्यातव्य है कि
नगरीकरण का प्रश्न औद्योगीकरण के प्रश्न से सम्बद्ध है। जो क्षेत्र औद्योगिक विकास
की दृष्टि से आगे होगा, उस क्षेत्र में नगरीकरण की स्थिति बेहतर होगी। जो क्षेत्र
औद्योगिक विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ होगा, उस क्षेत्र में नगरीकरण की स्थिति
कमजोर होगी। इसी प्रकार नगरीकरण का प्रश्न व्यापार-वाणिज्य के साथ-साथिक
सामाजिक-आर्थिक विकास के प्रश्न से भी सम्बद्ध है। इसे अविभाजित बिहार के
परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जहाँ अधिकांश बड़े शहर: बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद,
राँची आदि दक्षिणी बिहार में अवस्थित थे। यह क्षेत्र बिहार में औद्योगिक विकास की
दृष्टि से अग्रणी था। वर्तमान में बिहार सरकार ने पर्यटन, औद्योगिक निवेश और
स्टार्ट अप को प्रोत्साहन देने की दिशा में जो भी पहलें की हैं, उससे भविष्य में
नगरीकरण की प्रक्रिया तेज़ होगी।
4. What Indian Ocean
Dipole Movement? Explain how it was related to the craticky of
monsoons during the year 2022 in India. What was the effect of
this envericity on the food production and economy in India?
हिन्द महासागरीय
द्विध्रुवीय गति क्या है? इसका वर्ष 2022 में भारत में
मॉनसून की अनियमितता से क्या सम्बंध था, व्याख्या कीजिए। इस
अनियमितता का भारत में खाद्य-उत्पादन और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
इस प्रश्न में
हिन्द महासागर की द्विध्रुवीय गति (IOD) को समझाते हुए वर्ष 2022 के विशेष सन्दर्भ में
यह बतलाना है कि यह मानसून को किन रूपों में प्रभावित करता है। साथ ही, यह भी
बतलाना है कि इसका भारत में खाद्य-उत्पादन का क्या असर पड़ा और इसने भारतीय
अर्थव्यवस्था को किन रूपों में प्रभावित किया? प्रश्न के तीसरे हिस्से को रेस्पोंड
करने के लिए ‘भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ है’ और भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि
की अहमियत (बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज) की समझ आवश्यक है। ध्यातव्य है कि हिन्द महासागर द्विधुव (IOD) को भारतीय नीनो भी कहा जाता है
क्योंकि यह अलनीनो के समान ही एक परिघटना है जो
पूर्व में
इंडोनेशियाई और मलेशियाई तटरेखा तथा पश्चिम में सोमालिया के पास अफ्रीकी तटरेखा के बीच हिन्द महासागर के अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में सम्पन्न होती है। पश्चिमी हिन्द महासागर का पूर्वी हिन्द महासागर
की तुलना में बारी-बारी से गर्म एवं ठंडा होना ही हिन्द महासागर द्विध्रुव कहलाता
है। इसका
भारतीय मानसून पर सकारात्मक एवं नकारात्मक, दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है।
जब
हिंद महासागर का पश्चिमी भाग, विशेषकर सोमालिया तट
के करीब पूर्वी हिन्द महासागर की तुलना में गर्म हो
जाता है, तब इसे हिन्द महासागर की सकारात्मक द्विध्रुवीय गति
(IOD) कहा जाता है। जब पश्चिमी हिन्द महासागर ठंडा होता है, तब इसे हिन्द महासागर की नकारात्मक
द्विध्रुवीय गति (IOD) कहते हैं।
5. Discuss, the incidence
and effects of Rural Urban digital divide in India. Examine the steps taken by
the government to reduce it.
भारत में
ग्रामीण-शहरी डिजिटल विभाजन की व्यापकता एवं प्रभावों पर चर्चा कीजिए। इसे कम करने
के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का परीक्षण कीजिए।
भारतीय
अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में अक्सर भारत-इण्डिया डिवाइड की बात की जाती है जिसका
सम्बंध ग्रामीण-शहरी विभेद से जा कर जुड़ता है। डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और उस तक
लोगों की पहुँच के सन्दर्भों में यह विभेद और भी गहरा है। इस प्रश्न में गाँवों और
शहरों के बीच डिजिटल डिवाइड को आँकड़ों के सहारे दर्शाना है और यह बतलाना है कि यह
गाँवों और शहरों के विकास को किन रूपों में प्रभावित कर रहा है। प्रश्न के दूसरे
हिस्से में इस डिवाइड को कम करने के लिए सरकार के द्वारा किये जाने वाले प्रयासों
की चर्चा करनी है।
68वीं बीपीएससी: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
1. Examine India's global
trade engagements in 2022. What are the various initiatives
taken by India to enhance trade? Suggest some ways to increase India's global
trade engagements in future.
2022 में भारत के वैश्विक
व्यापार सम्बंधों की जाँच कीजिए। व्यापार बढ़ाने के लिए भारत द्वारा की गई विभिन्न
पहले क्या हैं। भविष्य में भारत के वैश्विक व्यापार संबंधों को बढ़ाने के कुछ उपाय
सुझाइए।
यह प्रश्न भारत
के वैश्विक व्यापार से सम्बंधित रुझानों पर आधारित है। इस प्रश्न के भी तीन आयाम
हैं: वर्ष 2022 में वैश्विक व्यापार के रुझान, इसे प्रोत्साहित करने के लिए भारत
द्वारा की जाने वाली पहलें और इस सन्दर्भ में उपयुक्त सुझाव। इस तरह के प्रश्न
अबतक नहीं पूछे जाते थे, लेकिन अब ऐसे प्रश्नों के लिए स्पेस सृजित हो रहा है। ऐसे
प्रश्नों को रेस्पोंड करने में आर्थिक समीक्षा अत्यन्त सहायक है। भविष्य में यह
संभव है कि ऐसे ही प्रश्न विदेशी निवेश के रुझानों से सम्बद्ध कर पूछे जाएँ।
इसीलिए अब बिहार सरकार द्वारा जारी आर्थिक समीक्षा के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा
हर साल जारी आर्थिक समीक्षा भी पढ़ने की ज़रुरत है।
2. According to the
report released by the Telecom Regulatory Authority of India (TRAI) in February
2022, the Bihar Service area has tele-density of 53-71% as against all-India
average of 85-91% at the end of December, 2021. Indicate the reasons for this
situation. What is its impact? Examine the steps that can be taken to improve
the situation.
फरवरी 2022 में भारतीय
दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 के अंत में अखिल भारतीय औसत 85.91% के मुकाबले बिहार सेवा क्षेत्र में 53.71% टेली-घनत्व है। इस स्थिति के कारणों को इंगित
कीजिए। इसका क्या प्रभाव है? स्थिति में सुधार के लिए उठाए
जा सकने वाले कदमों की जाँच कीजिए।
यह प्रश्न बिहार
स्पेसिफिक है जिसमें बिहार में निम्न टेली-घनत्व के कारणों की चर्चा करनी है, इसके
प्रभाव का विश्लेषण करना है और इस स्थिति में सुधार के लिए अपेक्षित कदम सुझाने
हैं। यह प्रश्न भी बिहार सरकार द्वारा जारी आर्थिक समीक्षा पर आधारित है। इस
प्रश्न को बेहतर तरीके से रेस्पोंड करने के लिए बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास की
समझ आवश्यक है।
3. “Blue economy is
identified as one of the ten core dimensions for national growth.”
In the light of the above statement, discuss its significance for the economy
and list the steps taken by India to promote the blue economy. Are they
sufficient?
"नीली
अर्थव्यवस्था की पहचान, राष्ट्रीय विकास के दस मुख्य आयामों
में से एक के रूप में की जाती है।" उपर्युक्त कथन के आलोक में, अर्थव्यवस्था के लिए इसके महत्व पर चर्चा कीजिए और नीली अर्थव्यवस्था को
बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की सूची बनाइए। क्या वे पर्याप्त है?
सामान्यतः ब्लू इकॉनोमी और
ब्लू वाटर इकॉनोमी को एक ही मान लिया जाता है, लेकिन नीली अर्थव्यवस्था ब्लू वाटर
इकॉनोमी से भिन्न है। यह पर्यावरण पर फोकस के साथ ग्रीन इकॉनोमी और सतत एवं
समावेशी विकास के लिए तटवर्ती एवं द्वीपीय राज्यों के बीच पूरकता पर बल के साथ
सामुद्रिक/तटवर्ती अर्थव्यवस्था को समाहित करता है। ध्यातव्य
है कि भारत तीन तरफ से: पूर्व
में बंगाल की खाड़ी से, दक्षिण में हिन्द महासागर से और पश्चिम में अरब सागर से
घिरा है, इसीलिए इसकी घरेलू सीमा भी विस्तृत है और इसका विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र
(EEZ) भी व्यापक है। इसमें अन्तर्निहित संभावनाओं के दोहन के लिए एक समन्वित
रणनीति की ज़रुरत है, ताकि इनके बीच सहयोग एवं सामंजस्य को सुनिश्चित किया जा सके। इसी
आलोक में यह प्रश्न भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नीली अर्थव्यवस्था की अहमियत पर
प्रकाश डालने की अपेक्षा छात्रों से करता है। साथ ही, उन संभावनाओं के दोहन के लिए
न केवल भारत सरकार द्वारा की गयी पहलों की चर्चा की अपेक्षा करता है, वरन् उसकी
पर्याप्तता के मूल्यांकन की भी उम्मीद करता है।
4. On the basis of raw
materials, divide Bihar into forest-based industries, agro-based industries and
mineral-based industries, Substantiate your answer with neat sketches depicting
the location of those industries. 12M+14M+12M=38 M
कच्चे माल के
आधार पर, बिहार को वन-आधारित उद्योगों, कृषि-आधारित उद्योगों
और खनिज-आधारित उद्योगों में विभाजित कीजिए। उन उद्योगों की अवस्थिति को दर्शाने वाले
स्वच्छ रेखाचित्रों द्वारा अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा:
67वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था खण्ड से पूछे
गए प्रश्नों का विश्लेषण करें, तो प्रश्नों की प्रकृति में बदलाव को सहज ही नोटिस
में लिया जा सकता है। यहाँ पर न केवल तुलनात्मक प्रकृति के प्रश्न पूछे गये, वरन् राष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था की ओर रुझान भी बढ़ा है। इस वर्ष एक प्रश्न भारतीय परिप्रेक्ष्य में
बिहार के औद्योगिक विकास के तुलनात्मक विश्लेषण पर आधारित है, जबकि दूसरा प्रश्न
बिहार के विशेष परिप्रेक्ष्य में नीति आयोग द्वारा जारी स्वस्थ्य सूचकांक,2021 पर
आधारित है। इस प्रवृत्ति को 68वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में और अधिक प्रभावी
होते देखा जा सकता है। इसके अलावा, तीसरा प्रश्न बिहार सरकार की योजना ‘जीविका’ से
सम्बंधित है, और चौथा प्रश्न बिहार में प्राकृतिक संसाधनों के वितरण और इसके आर्थिक
महत्व से सम्बंधित है।
1. बिहार में औद्योगिक विकास
का चित्र
प्रस्तुत कीजिए, तथा भारत के औद्योगिक
विकास से तुलना कीजिए।
इस राज्य
में औद्योगिक
पिछड़ेपन के कारणों को इंगित कीजिए
तथा स्थिति
को सुधारने
के लिए बिहार सरकार
द्वारा उठाये
गये हालिया
सुधारात्मक कदमों
का वर्णन
कीजिए।
Present the picture of industrial development in Bihar and
compare with industrial development of India. Indicate the causes of industrial
backwardness in this State and illustrate the recent remedial steps taken by
the Government of Bihar to improve the situation. (38 Marks)
इस प्रश्न के तीन हिस्से हैं: पहले हिस्से में बिहार के औद्योगिक
विकास की रूपरेखा प्रस्तुत करनी है। इस क्रम में बिहार के औद्योगिक विकास
का भारत के औद्योगिक विकास के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण करना है। प्रश्न के दूसरे हिस्से में बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन के
कारणों का विश्लेषण करना है, और फिर तीसरे हिस्से में इस स्थिति में सुधार के लिए
बिहार सरकार के द्वारा की गयी पहलों पर चर्चा करनी है। अब सन्दर्भ चाहे बिहार औद्योगिक विकास प्रोत्साहन नीति का
हो, या बिहार स्टार्ट अप नीति का, या फिर बिहार सरकार की इथेनॉल नीति का। इसके
अलावा, बिहार सरकार द्वारा खाद्य-प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए
जो भी पहलें की जा रही हैं, उसकी भी चर्चा करनी है।
2. यह कहा जाता है कि ‘जीविका’ (BRLPS) महिला सशक्तिकरण का औज़ार है। इस परियोजना
का परिचय
दीजिए तथा इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
बिहार में महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में ‘जीविका परियोजना’ की भूमिका
का मूल्यांकन कीजिए।
It is said that ‘JEEVIKA (BRLPS) is a tool of women
empowerment’. Give an introduction of this project and describe its objectives.
Evaluate the role of ‘JEEVIKA SCHEME’ in the context of women empowerment in
Bihar. (38 Marks)
यह प्रश्न पूरी तरह से बिहार सरकार के महत्वपूर्ण स्कीम ‘जीविका’ पर
आधारित है। इस
प्रश्न को रेस्पोंड करते हुए जीविका
का सामान्य परिचय देते हुए उसके उद्देश्यों का वर्णन करना है और महिला सशक्तिकरण
के विशेष सन्दर्भ में उसकी भूमिका का मूल्यांकन करना है।
3. 'नीति आयोग
के स्वास्थ्य सूचकांक, 2021' के अनुसार, भारत के 19 बड़े राज्यों
में से बिहार का स्थान 18वाँ है। इस राज्य
में, इस दयनीय
स्थिति के उत्तरदायी कारकों
को सूचीबद्ध
कीजिए । बिहार में स्वास्थ्य स्थिति
को सुधारने
के लिए क्या कदम उठाये गये हैं? क्या वे पर्याप्त हैं? अपने उत्तर को तथ्यों
एवं आँकड़ों
से पुष्ट
कीजिए।
As per ‘NITI Aayog Health Index, 2021’, Bihar ranks 18th out the
19th larger States of India. List the factors responsible for this pity
situation in this State. What steps have been taken to improve health situation
in Bihar? Are they sufficient? Support your answer with facts and figures. (38
Marks)
इस प्रश्न में नीति आयोग द्वारा जारी स्वास्थ्य सूचकांक,2021 को रेफ्रेन्स पॉइंट
बनाकर बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं के सन्दर्भ में बिहार की पिछड़ी हुई स्थिति के
कारणों के विश्लेषण की अपेक्षा की गयी है। साथ ही, बिहार को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए
क्या कदम उठाए गए हैं और क्या ये कदम पर्याप्त हैं? इस प्रश्न का उत्तर समुचित
तथ्यों के आलोक में देना है।
4. बिहार राज्य
में विद्यमान
प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों के नाम लिखिए। इनमें
से किन्हीं
दो को चुनिए तथा उन क्षेत्रों को दर्शाइए जहाँ
ये पाये
जाते हैं और बिहार के आर्थिक
विकास में इनके महत्व
का वर्णन
कीजिए।
Write the name of major natural resources existing in Bihar
State. Out of these, select any two and show the pockets where they are found
and narrate their importance in Bihar’s economic development.
बिहार
में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता की चर्चा करनी है। फिर, बिहार में दो
प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों के वितरण और बिहार के आर्थिक विकास में उनकी अहमियत की
चर्चा करनी है। इन प्राकृतिक संसाधनों में भूमि-संसाधन भी आते हैं और जल-संसाधन भी।
इसके अलावा, बिहार में पाइराइट का एकमात्र उत्पादक क्षेत्र है
और
इसके पास 95% संसाधन हैं। इतना ही नहीं, मई 2022 में जमुई जिले में
एक सोने की खदान मिली थी। यह देश के स्वर्ण भंडार का 44%
से अधिक, लगभग 223 मिलियन
टन, का प्रतिनिधित्व करता है।
66वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा:
66वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में अर्थव्यवस्था खंड से पूछे जाने
वाले प्रश्नों के रुझानों का विश्लेषण करें, तो इससे सम्बंधित प्रश्नों की संख्या
कुल-मिलकर 7 रही है। इनमें से दो प्रश्न
प्रथम पत्र के समसामयिकी खंड के अंतर्गत पूछे गए हैं जो क्रमश: सरकार की
योजनाओं एवं कार्यक्रम और वैश्विक निवेश एवं व्यापार से सम्बद्ध पहलुओं से
सम्बंधित हैं:
1. भारत
के विशेष संदर्भ में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बाद 'आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना' के हाल की प्रमुख
विशेषताओं एवं प्रावधानों का परीक्षण कीजिए।
दरअसल
कोविड-महामारी और इसकी चुनौती से निबटने के लिए आरोपित लॉकडाउन ने अनौपचारिक
अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत में रोजगार परिदृश्य को बुरी तरह से प्रभावित किया।
पिछले तीन दशकों के जॉबलेस ग्रोथ की पृष्ठभूमि में नोटबन्दी एवं जीएसटी के कारण
भारतीय अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से भारत की अनौपचारिक अर्थ्व्यवस्था पहले से ही
दबाव का सामना कर रही थी। ऐसी स्थिति में कोरोना-संकट ने इसे गहराने का काम किया
और दबाव में सरकार को 'आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना'
की शुरुआत करनी पड़ी। यही वह पृष्ठभूमि
है जिसमें यह प्रश्न पूछा गया है। यह प्रश्न सामान्य प्रकृति वाला न होकर
स्पेसिफिक है जिसका उत्तर या तो आप जान रहे होंगे अथवा नहीं। ऐसे प्रश्नों के
उत्तर लिखने में बीच का कोई रास्ता नहीं होता है। यह प्रश्न तथ्यात्मक प्रकृति का
है, लेकिन उपरोक्त समझ के सहारे इसका विश्लेषणात्मक उत्तर लिखा जा सकता है, इस
योजना के मूल उपबंधों से सम्बद्ध करते हुए।
2. भारत-यूरोपीय
संघ (EU) के मध्य व्यापक आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता
की विवेचना कीजिए।
यह प्रश्न भी
स्पेसिफिक है और तथ्यात्मक प्रकृति वाला है जिसका उत्तर
या तो आप जान रहे होंगे अथवा नहीं। ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखने में बीच का कोई
रास्ता नहीं होता है।
इसके अतिरिक्त, एक प्रश्न अन्तर्विषयक
दृष्टिकोण (Inter-Disciplinary Approach) पर आधारित हैं जो इण्डियन पॉलिटी
खंड में पूछे गए हैं और जिसमें आर्थिकी को राजनीति एवं समाज से सम्बद्ध करके देखा
गया है:
3. भारतीय
राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं को जन्म दिया
है। बिहार के विशेष सन्दर्भ में कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
इस प्रश्न में असन्तुलित विकास के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक
परिणामों को बिहार के विशेष सन्दर्भ में दर्शाना है। इस प्रश्न को सामान्य प्रकृति
का माना जा सकता है।
इसके अलावा, चार प्रश्न अर्थव्यवस्था खंड के अंतर्गत
पूछे गए हैं जो निम्न हैं:
4. बिहार
सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि
गत तीन वर्षों में बिहार की विकास दर भारत की विकास दर से अधिक रही है।
अर्थव्यवस्था के किन क्षेत्रों में इस प्रगति में योगदान किया है? वर्णन कीजिए।
इस प्रश्न में बिहार और भारत की विकास-दर को तुलनात्मक
सन्दर्भों में पूछा जा रहा है, और इस प्रश्न का उत्तर बिहार की आर्थिक समीक्षा के
विशेष सन्दर्भों में अपेक्षित है। ये विशेष सन्दर्भ इस प्रश्न को विशेष बनाते हैं।
5. बिहार
में व्याप्त आर्थिक-सामाजिक विषमताओं के क्या कारण हैं? सरकार
द्वारा इन असमानताओं को कम करने के लिए उठाए गए कदमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन
कीजिए।
यह प्रश्न सामान्य प्रकृति का है। इस
प्रश्न का उत्तर सभी परीक्षार्थियों के द्वारा लिखा जाएगा, लेकिन हर किसी के लिखने
का तरीका अलग-अलग होगा और यही मार्किंग को प्रभावित करेगा। इस प्रश्न के दो
हिस्से हैं: पहले हिस्से में सामाजिक-आर्थिक विषमताओं के कारणों की तलाश बिहार की
सामाजिक संरचना, आर्थिक संरचना और राजनीति में अन्तर्निहित हैं, जबकि प्रश्न के
दूसरे हिस्से में इस विषमता को दूर करने के लिए बिहार सरकार के द्वारा उठाये जाने
वाले कदमों का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हुए यह दिखाना है कि ये कदम किस हद तक
प्रभावी साबित हुए हैं और अगर ये अपेक्षित परिणाम दे पाने में सफल नहीं रहे, तो
इसके क्या कारण हैं। उन कारणों की ओर सांकेतिक तरीके से इशारा भर करना है।
6. जनांकिकीय
लाभांश से आप क्या समझते हैं? यू. एन. एफ. पी. ए. की रिपोर्ट के
अनुसार, भारत, विशेष रूप से बिहार को
इसके लाभ उठाने के अवसर किस समय तक प्राप्त होंगे? बिहार
द्वारा इस सम्बंध में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए।
इस प्रश्न के
तीन हिस्से हैं जिनमें पहले हिस्से में संक्षेप में जनांकिकीय लाभांश को परिभाषित
करना है, और प्रश्न के तीसरे हिस्से में जनांकिकीय लाभांश द्वारा सृजित संभावनाओं
के दोहन के लिए बिहार सरकार के द्वारा की जाने वाली पहलों की चर्चा करनी है।
प्रश्न का दूसरा हिस्सा स्पेसिफिक है जिसे संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या कोष की
रिपोर्ट के आलोक में रेस्पोंड किया जाना अपेक्षित है।
7. मानव-विकास
का मापन कैसे किया जाता है? मानव-विकास कार्य-सूची को प्राप्त करने
के लिए बिहार सरकार की सात प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? इन
लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार की योजनाओं को समझाइए।
इस
प्रश्न में मानव-विकास को परिभाषित करते हुए उसके मापकों की चर्चा करें। साथ ही,
प्रश्न के दूसरे हिस्से में इसको सुनिश्चित करने के लिए बिहार सरकार द्वारा चलाये
जा रहे सात निश्चय कार्यक्रम की चर्चा करनी है। साथ
ही, इसे हासिल करने के लिए चलायी जा रही योजनाओं पर भी विचार करना है।
इन प्रश्नों की प्रकृति पर गौर करें, तो पाते हैं कि दो प्रश्न असमान विकास:
एक असंतुलित क्षेत्रीय विकास और दूसरा सामाजिक-आर्थिक विषमता से सम्बंधित पूछा गया
है। दूसरी बात, इस बार तीन ऐसे प्रश्न पूछे गए
हैं जिनकी माँगें मिलती-जुलती हैं जिनमें जनांकिकीय लाभांश द्वारा
सृजित संभावनाओं के दोहन के लिए बिहार सरकार के प्रयास, मानव-विकास कार्य-सूची को
प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार की सात प्रतिबद्धताएँ और सामाजिक-आर्थिक विषमता
कम करने के लिए सरकार उठाए गए कदम शामिल हैं।
ऐसे प्रश्नों के उत्तर
में दोहराव का खतरा बढ़ जाता है जो परीक्षक को नकारात्मक सन्देश
देता है, इसीलिए इससे बचने की ज़रुरत है और यह तब तक
संभव नहीं है जबतक कि आपकी भाषायी सम्प्रेषण-क्षमता विकसित नहीं हो। तीसरी
बात, इन प्रश्नों में प्रश्न तो सामान्य प्रकृति वाले ही हैं, पर उन्हें विशिष्ट
सन्दर्भ में पूछा गया है: जैसे जनांकिकीय लाभांश वाले प्रश्न को संयुक्त राष्ट्र
जनसंख्या कोष(UNFPA) रिपोर्ट से सम्बद्ध करके पूछा जाना, मानव-विकास को सात निश्चय
से सम्बद्ध करके देखना, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना आदि।
65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा:
65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा के दौरान पूछे गए प्रश्नों पर गौर करें, तो सहज ही यह निष्कर्ष सामने आता है कि पूछे गये दो
प्रश्न भारतीय अर्थव्यवस्था की समग्र समझ पर, एक प्रश्न
बिहार की अर्थव्यवस्था की समझ पर और एक प्रश्न समसामयिक आधारित हैं। इसके अलावा, अपडेशन और इंटर-डिस्सिप्लिनरी पर आधारित
प्रश्न कर्रेंट सेक्शन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सेक्शन में अलग से पूछे गए। अब इस वर्षग पूछे
गए प्रश्नों पर गौर करें:
1. भारतीय
कृषि में सन् 1991 से संवृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियों की व्याख्या कीजिए। बिहार
में कृषि-उत्पादन और उसकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए क्या व्यावहारिक उपाय किये
जाने चाहिए?
यह प्रश्न भारतीय कृषि की समग्र समझ पर आधारित है। इस प्रश्न के दो हिस्से हैं:
a. प्रश्न के पहले
हिस्से में पिछले तीन दशकों के दौरान संवृद्धि एवं उत्पादकता के सन्दर्भ में उभरने
वाले उन रुझानों की चर्चा करनी है जो भारतीय कृषि में उभरकर सामने आई है। इसमें उत्पादकता
में ठहराव की चुनौतियों की चर्चा करनी है और यह भी कि भूमि-सुधार, भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण एवं तकनीकी उन्नयन, जलवायु-परिवर्तन
और मौसम की अनिश्चितता, बदलते फसल-पैटर्न, जल-प्रबंधन, सतत कृषि, कृषि-अवसंरचना,
पश्च-फसल प्रबंधन और कृषि एवं खाद्य-प्रसंस्करण के मोर्चे पर मौजूद
चुनौतियाँ किस प्रकार इसमें अवरोध उत्पन्न कर रही है। साथ
ही, हरित-क्रान्ति के अंतर्विरोधों से लेकर सरकार की बेरुखी
तक इस स्थिति को किन रूपों में प्रभावित कर रही है?
b. प्रश्न के दूसरे
हिस्से में इस प्रश्न को बिहार के विशेष सन्दर्भों से जोड़ दिया गया है और यह पूछा
गया है कि बिहार में कृषि-उत्पादन एवं उत्पादकता में सुधार के लिए क्या किया जाना
चाहिए।
2. भारत
में आर्थिक सुधारों के बाद के काल में आर्थिक नियोजन की प्रासंगिकता की विवेचना
कीजिए। इस सन्दर्भ में समझाइए कि किस प्रकार राज्य और
बाज़ार देश के आर्थिक विकास में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं?
64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा में भी आर्थिक नियोजन की मुख्य
उपलब्धियों के मूल्यांकन से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए थे। इस बार एक बार फिर से
आर्थिक नियोजन की प्रासंगिकता से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए हैं। अक्सर आर्थिक
नियोजन की संकल्पना को समाजवादी अर्थव्यवस्था और राज्य की नियंत्रणकारी व्यवस्था
से सम्बद्ध कर देखा जाता है, और
उस सबक को भुला दिया जाता है जो सबक सन् (1929-33) की वैश्विक आर्थिक महामन्दी ने
दिया था। इसीलिए भारत में जब सन् 1991 में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू हुई,
तो आर्थिक नियोजन और योजना आयोग को केन्द्रीकरण का प्रतीक मानते हुए
उसे अप्रासंगिक घोषित करने का सिलसिला शुरू हुआ। इस बात को भुला दिया गया कि
आर्थिक उदारीकरण ने राज्य की भूमिका को समाप्त करने की बजाय उसे पुनर्परिभाषित
किया है और इसके कारण राज्य एवं सरकार की जिम्मेवारियाँ और भी अधिक हो गई हैं।
अन्ततः सन् 2015 में योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन करते हुए आर्थिक आयोजन की
रणनीति को छोड़ दिया गया, लेकिन नीति आयोग के सन्दर्भ में
अबतक के अनुभव बहुत सुखद नहीं रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नीति आयोग एक
स्वतंत्र थिंक-टैंक की भूमिका के निर्वाह की बजाय सरकारी रुखों के प्रस्तोता के रूप
में सामने आया है, और इसीलिए अब उसकी भूमिका को लेकर लगातार
प्रश्न उठा रहे हैं।
यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें इस प्रश्न में सुविधाप्रदायक के रूप में
राज्य की भूमिका, बाज़ार की स्वेच्छाचरिता
पर अंकुश लगते हुए एक नियमनकारी के रूप में राज्य की भूमिका, समाज के कमजोर एवं वंचित समूह के पक्ष में हस्तक्षेपकारी के रूप में राज्य
की भूमिका, देश के तात्कालिक एवं दीर्घकालिक हितों के बीच
सामंजस्य स्थापित करने में राज्य की भूमिका और वैश्वीकरण की तेज होती प्रक्रिया के
साथ बढ़ाते हुए अंतर्राष्ट्रीय दबाव एवं भारत के परस्पर-विरोधी हितों के प्रबंधन
में राज्य की भूमिका को रखांकित करते हुए आयोजन की प्रासंगिकता के प्रश्न पर विचार
करना है।
3. सूक्ष्म, लघु
एवं मध्यम उपक्रमों की नयी परिभाषा बतलाइए। भारत में
औद्योगिक संवृद्धि की गति को तीव्र करने और आत्मनिर्भर अभियान की सफलता को
सुनिश्चित करने में इन उपक्रमों की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
जून,2020 में केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों को पुनर्परिभाषित
करने की दिशा में पहल की क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि पुरानी परिभाषा के कारण
उद्यमता-बाज़ार में गतिशीलता अवरुद्ध होती है, इसलिए यह निवेश
और संवृद्धि में बाधक है। निश्चय ही निवेश-लागत और टर्नओवर पर आधारित नयी परिभाषा उन अवरोधों को दूर करती है जिनके सन्दर्भ में अबतक बातें की जाती
रही हैं, लेकिन इसको लेकर कई आशंकाएं भी हैं। अगर बड़े
कॉर्पोरेट्स की नज़रों में निवेश-लागत और टर्नओवर के सन्दर्भ में नवनिर्धारित सीमा
अव्यावहारिक है, वहीं छोटे निवेशक बड़े कॉर्पोरेट्स के दबदबे
में वृद्धि को लेकर आशंकित हैं। इन्हीं विरोधाभासों के परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त
संशोधित परिभाषा का विश्लेषण अपेक्षित है।
4. बिहार
के तीव्र आर्थिक विकास में क्या बाधाएँ हैं? इन बाधाओं को किस
प्रकार दूर किया जा सकता है?
उपरोक्त प्रश्न का एक विशिष्ट सन्दर्भ है, और वह यह कि सुशासन के तमाम दावों के बावजूद बिहार
में विकास की गति मंथर है। तमाम कोशिशों के बावजूद बिहार निवेश एवं निवेशकों को
आकर्षित कर पाने और अपने विकास को उत्प्रेरित कर पाने में असमर्थ रहा है। हाल में
बिहार के मुख्यमंत्री ने बिहार के औद्योगिक अविकास एवं पिछड़ेपन के लिए बिहार के ‘लैंडलॉक्ड’ होने को जिम्मेवार ठहराया। यहाँ पर इस
बात को स्पष्ट करना अपेक्षित है कि अक्सर बिहार के औद्योगिक विकास के प्रश्न को
बिहार के विशिष्ट भूगोल से अलगाकर देखा जाता है और इस क्रम में यह समझने की कोशिश
नहीं की जाती है कि बिहार के ग्रोथ का अपना अलग मॉडल होगा जो स्थानीय परिस्थितियों
के अनुरूप आकार ग्रहण करेगा। इस क्रम में राज्य और सरकार को अग्रणी भूमिका निभाते
हुए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। लेकिन, राज्य
सरकार संसाधनों की किल्लत का सामना कर रही है, और केन्द्र
सरकार बिहार को संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए तैयार नहीं है। साथ ही, यह तबतक संभव नहीं होगा जबतक कि बिहार के प्रति बिहारियों का नज़रिया नहीं
बदलता है और ब्रेन-ड्रेन के साथ-साथ रिसोर्स-ड्रेन की प्रक्रिया को रिवर्स नहीं
किया जाता है। इस क्रम में बिहार के प्रति वित्तीय संस्थाओं के नज़रिए को भी बदलने
की ज़रुरत है।
64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा:
भारतीय अर्थव्यवस्था खंड से पूछे गए प्रश्न पारंपरिक प्रकृति के कहीं
अधिक हैं: प्रश्न चाहे खाद्य-सुरक्षा का हो, या डब्ल्यूटीओ की भूमिका का, या फिर आर्थिक आयोजन की
उपलब्धियों का मूल्यांकन और जनसंख्या-वृद्धि बनाम् आर्थिक विकास। लेकिन, इन अति-सामान्य से दिखने वाले प्रश्नों के
उत्तर की मार्किंग एकसमान नहीं होगी, क्योंकि अधिकांश लोगों
ने सामान्यीकृत उत्तर लिखा होगा, जबकि कुछ लोगों ने अपडेशन
एवं समग्रता के जरिये प्रश्न के उत्तर को विशिष्ट बनाने की कोशिश की होगी। निश्चय
ही इस दूसरी श्रेणी में आनेवाले छात्रों को बेहतर अंक मिलने की सम्भावना होगी,
जबकि पहली श्रेणी में आनेवाले अधिकांश लोगों को औसत से भी कम अंक
मिलने की संभावना है। मार्किंग में यह उतना मैटर नहीं करता है कि आप क्या लिखते
हैं, यह कहीं अधिक मैटर करता है कि आप कैसे लिखते हैं;
जो पूछा जा रहा है, आप वही लिखते हैं या कुछ
और; तथा आप अपने उत्तर को औरों के उत्तर से कैसे भिन्न एवं
विशिष्ट बनाने की कोशिश करते हैं।
1. भारत
में खाद्य-सुरक्षा की आवश्यकता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
यह प्रश्न दिखने में पारम्परिक प्रकृति का प्रतीत है, लेकिन इस प्रश्न का सीधा सम्बन्ध समसामयिक सन्दर्भों
से जाकर जुड़ता है। एक तो भारत की करीब-करीब आधी जनसंख्या गरीबी-रेखा के आस-पास है,
और दूसरे सन् 2014 से अबतक ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग
55वें स्थान से फिसलकर 102वें स्थान पर पहुँच गयी है। निश्चय ही ये दोनों ही चीजें
खाद्य-सुरक्षा के प्रश्न को महत्वपूर्ण बना देती हैं। तीसरी बात यह कि
खाद्य-सुरक्षा स्थिर न होकर विकसनशील संकलपना है। संकीर्ण अर्थों में यह
मात्रात्मक संकल्पना है, पर व्यापक सन्दर्भों में यह
गुणात्मक संकल्पना है जो खाद्य के साथ-साथ पोषण-सुरक्षा के प्रश्न को भी अपने भीतर
समाहित करती है। भारत में अल्प-वजन के शिकार बच्चों का उच्च अनुपात बाल-कुपोषण की
गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है जो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक विकास को भी
प्रभावित करता है। इन सबके बीच बीपीएल जनसंख्या के अनुपात में हालिया वृद्धि और
शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मद में सार्वजनिक व्यय में कटौती के कारण उपभोक्ता-व्यय
का खाद्यान्न-मदों से गैर-खाद्यान्न-मदों की ओर रुझान ने भी खाद्य-सुरक्षा के
प्रश्न को महत्वपूर्ण बना दिया है। ये वे बिंदु हैं जिसके आलोक में इस प्रश्न को
रेस्पोंड करना आपके उत्तर को अन्य से भिन्न बनाएगा और इससे वैल्यू एडिशन भी सम्भव
हो सकेगा।
आर्थिक मन्दी और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में
नोटबन्दी, जीएसटी और कोविड-संकट ने
भारतीय अर्थव्यवस्था पर विद्यमान संकट को गहराने का काम किया है। इसके
परिणामस्वरूप संवृद्धि एवं विकास के साथ-साथ प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आयी है
और इसने गरीबी, विशेष रूप से ग्रामीण गरीबी में तीव्र वृद्धि
को संभव बनाया है। हाल में जारी मानव विकास रिपोर्ट,2020,
ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2020 और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-20)
की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है। इसलिए 66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा में इस
तरह के प्रश्नों की सम्भावना अपेक्षाकृत ज्यादा है।
2. भारतीय
अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका की व्याख्या
कीजिये।
यद्यपि यह प्रश्न भी पारम्परिक प्रकृति का ही है, फिर भी इसका उत्तर लिखते वक़्त वर्तमान परिप्रेक्ष्य
और मौजूद चुनौतियों से जोड़ते हुए उत्तर को नयी दिशा डी जा सकती है। आर्थिक संरक्षणवाद,
विश्व व्यापार संगठन का लोकतान्त्रिक स्वरुप, ट्रेड-वॉर,
मुक्त-व्यापार समझौता बनाम् बहुपक्षीय व्यापार समझौता, खाद्य-सुरक्षा सब्सिडी विवाद, आदि से
जोड़कर उत्तर की मार्क्स-संभावनाओं को विस्तार दिया जा है। साथ ही, अबतक कृषि, उद्योग एवं सेवा-क्षेत्रों के सन्दर्भ
में भारतीय हितों को संरक्षित करने में इसकी भूमिका को भी रेखांकित किया जाना
चाहिए। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मार्क्स-संभावनाओं को विस्तार
दिया जा सकता
है।
3. भारतीय
आर्थिक नियोजन की मुख्य उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिये।
चूँकि जनवरी,2015 में ही योजना आयोग को भंग करते हुए नीति आयोग का गठन किया गया, इसलिए इस प्रश्न की उम्मीद नहीं थी; लेकिन बीपीएससी ने उसके बाद कई परीक्षाओं में योजना आयोग एवं आयोजन से
प्रश्न पूछे हैं। दरअसल पिछले कुछ समय से नीति आयोग के औचित्य एवं प्रासंगिकता को
लेकर प्रश्न उठते रहे हैं और इस क्रम में नीति आयोग के
औचित्य एवं उसकी उपलब्धियों का मूल्यांकन योजना आयोग एवं आयोजन की उपलब्धियों के
सापेक्ष अपेक्षित है। इसी आलोक में यह प्रश्न डाला गया
है जिसमें अपेक्षा की गयी है कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और उनसे सम्बद्ध
विकास-संकेतकों के आलोक में आयोजन की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए।
4. जबतक
भारत में जनसंख्या-वृद्धि अवरुद्ध नहीं की जाती, तब तक
आर्थिक विकास को उसके सही रूप में नहीं देखा जा सकता। इस कथन का परीक्षण कीजिये।
यह प्रश्न बढ़ती हुई जनसंख्या को कहीं-न-कहीं अभिशाप के रूप में देखता
है और उसे आर्थिक विकास में अवरोधक मानता है, अब यह बात अलग है कि जनसंख्या में वृद्धि को लेकर पारंपरिक धारणा में
बदलाव आ चुके हैं और आज इसे चुनौती की बजाय अवसर के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन, जिस तरह से डेमोग्राफिक डिविडेंड
डेमोग्राफिक डिजास्टर में तब्दील होता दिख रहा है, उसकी
पृष्ठभूमि में इस तरह के प्रश्न किसी-न-किसी रूप में अपेक्षित थे। लेकिन, इस प्रश्न को लिखते वक़्त इस सन्दर्भ में नयी
जनसंख्या नीति की धारणा, संसाधनों की किल्लत, और जनसँख्या को मानव-संसाधन में तब्दील कर पाने में सरकार की विफलता को भी
ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसका एक एंगल जनसंख्या-नियंत्रण
की सरकार की मंशा और उसके राजनीतिक निहितार्थों से भी जुड़ता है।
63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा:
यदि 63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों पर विचार करें, तो पहले प्रश्न को छोड़ दें, तो
ये प्रश्न पारंपरिक प्रकृति के कहीं अधिक प्रतीत होते हैं। इस खंड से पूछे गए चार
प्रश्नों में एक प्रश्न कृषि से, एक प्रश्न गरीबी से,
एक प्रश्न बृहत् उद्योगों के संकेन्द्रण एवं उनकी भौगोलिक अवस्थिति
के बीच का सम्बंध और एक प्रश्न खनिजों के वितरण से
सम्बंधित हैं। इन प्रश्नों का निम्न सन्दर्भों में विश्लेषण किया जा सकता है:
1. वर्तमान
में भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें दूर करने हेतु
सुझाव दें। साथ ही, भारतीय कृषि के
विकास हेतु सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्रमुख कार्यक्रमों की चर्चा कीजिए।
यह प्रश्न पारंपरिक प्रकृति का है, विशेषकर इसका पहला भाग; लेकिन इसके दूसरे भाग को
बिना अपडेशन के रेस्पोंड करना मुश्किल होगा। इस प्रश्न को रेस्पोंड करने के क्रम
में पारंपरिक चुनौतियों के साथ-साथ नवीनतम चुनौतियों, चाहे
वे चुनौतियाँ जलवायु-परिवर्तन के कारण उत्पन्न हो रही हों अथवा आर्थिक सुधारों की
पृष्ठभूमि में बाज़ार एवं अंतर्राष्ट्रीय दबावों के कारण, को
भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। साथ ही, भारत सरकार के साथ-साथ
बिहार सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों और विद्यमान
चुनौतियों से निबटने में इनकी प्रभावशीलता की भी चर्चा अपेक्षित है।
2. भारत
में गरीबी के अनुमान पर चर्चा करते हुए गरीबी के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या
करें। भारत सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए
कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं?
इस प्रश्न के तीन हिस्से हैं: गरीबी का अनुमान, इसका कारण और इसके उन्मूलन के लिए चलायी जा रही
योजनाएँ। इसका उत्तर लिखते हुए भारत में गरीबी के
अनुमान को लेकर चल रही चर्चा और इससे सम्बद्ध विवादों पर संक्षेप में प्रकाश डालते
हुए गरीबी के कारणों की व्याख्या विस्तार से करनी है। और,
फिर अंत में भारत सरकार के गरीबी-उन्मूलन कार्यक्रमों और उनके
वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालना है।
3. भारत
के प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही
स्थापित हो पाए हैं। इसके कारणों की व्याख्या करें एवं
भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें।
यह प्रश्न बुनियादी रूप से अर्थव्यवस्था-खण्ड से सम्बंधित न होकर
भूगोल से सम्बंधित है। इस प्रश्न में बृहत् उद्योगों के वितरण को प्रभावित करने
वाले कारकों की व्याख्या और इस क्रम में यह दिखलाना अपेक्षित है कि कौन-कौन से
बुनियादी उद्योग कहाँ पर अवस्थित हैं और क्यों।
4. भारत
में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों की विस्तार से व्याख्या करें। भारतीय
अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में इनके योगदान की चर्चा करें। साथ ही, भारत की नई खनिज नीति के प्रमुख बातों को
बताएँ।
यह प्रश्न भी मूल रूप से भूगोल से सम्बंधित है। इस प्रश्न के पहले
हिस्से में प्रमुख खनिजों के वितरण के वितरण के प्रश्न पर विचार करना है, जबकि दूसरे खण्ड में आर्थिक विकास में उनकी भूमिका को
रेखांकित करना है। जहाँ प्रश्न का पहला दो हिस्सा पारंपरिक प्रकृति का है, वहीं प्रश्न का तीसरा हिस्सा, जिसमें नयी खनिज नीति
पर विचार करना है, समसामयिक प्रकृति का, जिसे अपडेशन के बिना रेस्पोंड नहीं किया जा सकता है।
इस प्रकार 63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा में इस खण्ड से पूछे जाने
वाले प्रश्नों पर गौर करें, तो इस बार अर्थव्यवस्था
और भूगोल खण्ड से दो-दो प्रश्न पूछे गए।
(60-62)वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा:
(60-62)वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा में भी अर्थव्यवस्था-खण्ड के अलावा अर्थव्यवस्था
खंड से सम्बंधित दो प्रश्न करेंट सेक्शन के अंतर्गत पूछे गए। प्रश्नों के रुझानों से न केवल समसामयिक परिदृश्य से सम्बद्ध प्रश्नों को पूछने की प्रवृति की पुष्टि होती है, वरन्
इस बात की भी पुष्टि होती है कि पारंपरिक प्रतीत होने वाले टॉपिकों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति
भी बदल रही है। उदाहरण के
रूप में 60-62वीं मुख्य परीक्षा के दौरान पूछे गए बेरोजगारी
से सम्बंधित इस प्रश्न को देखें:
1. भारत
में दीर्घकालिक रोजगार-नीति का मुख्य मुद्दा रोजगार प्रदान करना नहीं, वरन्
श्रम-शक्ति की रोजगार-क्षमता को बढ़ाना है। इस कथन का विवेचन गुणवत्तापूर्ण शिक्षण
एवं प्रशिक्षण के मार्फ़त ज्ञान एवं दक्षता के विकास के विशेष सन्दर्भ में कीजिये।
देश में सन् 2000 के बाद क्षेत्रवार रोजगार-सृजन की प्रवृत्तियों
एवं फलितार्थों को भी समझाइए।
इस प्रश्न में
बेरोजगारी एवं रोजगार-सृजन के प्रश्न को कौशल-विकास के प्रश्न से सम्बद्ध करके
देखा गया है। साथ ही, प्रश्न के दूसरे हिस्से में आर्थिक उदारीकरण
की रणनीति के रोजगार-सृजन पर असर के आलोक में पिछले डेढ़ दशकों के दौरान
रोजगार-परिदृश्य की क्षेत्रवार समीक्षा करनी है। रोजगार-सृजन
एवं कौशल-विकास के जटिल अंतर्संबंधों और रोजगार-सृजन के सन्दर्भ में अर्थव्यवस्था
के विभिन्न क्षेत्रकों पर आर्थिक उदारीकरण के प्रभाव को समझे बिना इस प्रश्न को
रेस्पोंड करना संभव नहीं है। स्पष्ट है कि बिना अपडेशन एवं बिना विस्तृत समझ के ऐसे प्रश्नों को टैकल कर पाना
मुश्किल है।
2. भारतीय
कृषि में संवृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियों की व्याख्या कीजिये। देश में
उत्पादकता में सुधार लाने और कृषि-आय को बढ़ाने के उपाय भी सुझाइए।
यह प्रश्न बतलाता है कि अब कृषि, वैश्वीकरण
एवं WTO से सम्बंधित प्रश्नों को भी समसामयिक संदर्भों से
जोड़ा जा रहा है। पारंपरिक प्रकृति के प्रतीत होने वाले
इस प्रश्न के पहले हिस्से में कृषि-संवृद्धि एवं उत्पादकता के सन्दर्भ में हालिया
रुझानों की चर्चा करनी है, जबकि प्रश्न के दूसरे हिस्से में
उत्पादकता में ठहराव की चुनौती से निबटने की रणनीति पर चर्चा करते हुए किसानों की
आय बढ़ाने के प्रश्न पर विचार करना है। इस प्रश्न के
दूसरे हिस्से का सम्बन्ध कहीं-न-कहीं किसानों की आय दोगुनी किये जाने के लिए चल
रहे विमर्श से जाकर जुड़ता है। अगर परीक्षार्थी इस विमर्श से वाकिफ हैं, तो वे इस प्रश्न के साथ न्याय कर पाने की स्थिति में होंगे, अन्यथा नहीं।
3. हाल
की अवधि में पंचायत व्यवस्था के सशक्तीकरण के माध्यम से विकेन्द्रित नियोजन भारत
की आयोजन का केंद्र-बिंदु रहा है। इस कथन को समझाते हुए समन्वित प्रादेशिक विकास-नियोजन
की एक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये। संविधान के 73-74वें संशोधन के बाद भारत में
विकेन्द्रित नियोजन के परिदृश्य का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
इस प्रश्न का
सम्बन्ध सीधे-सीधे नीति-आयोग के गठन और इसकी पृष्ठभूमि में विकेन्द्रीकृत आयोजन के
एजेंडे से जाकर जुड़ता है जिसके लिए उपयुक्त संस्थागत मैकेनिज्म का विकसित न हो पाना
स्थानीय स्वशासन की दिशा में की गयी पहलों की विफलता को
दर्शाता है। ऐसा नहीं कि
योजनावधि के दौरान इस दिशा में प्रयास नहीं किये गए, क्षेत्रीय
नियोजन की दिशा में की गयी पहल इसका प्रमाण है। अब यह
बात अलग है कि यह प्रयास बहुत प्रभावी नहीं रहा और इसीलिए अपेक्षित परिणामों को दे
पाने में विफल भी। इतना ही नहीं, नीति आयोग के गठन के बावजूद वर्तमान सरकार ऐसा कर पाने में असफल रही।
यहाँ पर विकेन्द्रीकृत
आयोजन को जिस प्रकार समन्वित प्रादेशिक विकास-नियोजन से सम्बद्ध किया गया है, वह इन्टर डिसिप्लिनरी एप्रोच के विकास की
आवश्यकता की ओर इशारा करता है जिसके बिना प्रश्न की
ज़रूरतों को पूरा कर पाना मुश्किल होगा। इस प्रश्न का
उत्तर लिखते वक़्त पंचायती-राज व्यवस्था के पिछले ढ़ाई दशकों के अनुभवों को ध्यान
में रखे जाने की ज़रुरत है और इस बात को भी कि किस प्रकार संसाधनों की किल्लत और
प्रभावी निगरानी-तंत्र के अभाव के साथ-साथ जिला योजना समिति(DPC) के सुदृढ़ीकरण के प्रति राज्य सरकारों की उदासीनता ने विकेन्द्रीकृत नियोजन
की रणनीति की प्रभावशीलता को बाधित किया।
4. भारत
में सार्वजानिक वस्तु-अनुदान, मेरिट वस्तु-अनुदान और नन-मेरिट वस्तु
अनुदानों से आपका क्या तात्पर्य है? देश में उर्वरक, खाद्य एवं पेट्रोलियम अनुदानों की समस्या तथा हाल ही की प्रवृत्तियों को
समझाइए।
यह प्रश्न
सार्वजानिक वित्त और सब्सिडी से सम्बंधित है। प्रश्न के पहले हिस्से में सब्सिडी
के विविध प्रकारों की चर्चा करनी है और यह बतलाना है कि किन आधारों पर मेरिट एवं
नन-मेरिट के बीच विभेद किया जाता है। प्रश्न के दूसरे हिस्से में सब्सिडी-रिफार्म
एवं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर(DBT) की पृष्ठभूमि में
फ़र्टिलाइजर-सब्सिडी, फ़ूड-सब्सिडी और ऑइल-सब्सिडी से सम्बंधित
समस्याओं और इससे सम्बंधित नवीनतम रुझानों के प्रश्न पर विचार करना है। प्रश्न का
पहला हिस्सा यदि पारंपरिक प्रकृति का है, तो दूसरा हिस्सा
समसामयिक सन्दर्भों से संदर्भित।
अर्थव्यवस्था से सम्बंधित जो दो प्रश्न करेंट सेक्शन में पूछे गए हैं, वे भी इसी तथ्य की ओर इशारा करते हैं:
5. विमुद्रीकरण
योजना को स्पष्ट कीजिये। आपके विचारों में यह योजना किस हद तक सफल या असफल रही? बिहार
सरकार की शराब-प्रतिबन्ध नीति पर इसके क्या प्रभाव पड़े?
इस प्रश्न के
तीन हिस्से हैं: पहले हिस्से में विमुद्रीकरण योजना को स्पष्ट करने की अपेक्षा की
गयी है, दूसरे हिस्से में इसकी सफलता या असफलता का मूल्यांकन करना है और तीसरे
हिस्से में बिहार में शराबबन्दी पर इसके असर की विवेचना करनी है। यहाँ पर
विमुद्रीकरण से सम्बंधित प्रश्न को जिस तरह बिहार सरकार की शराब-प्रतिबन्ध की नीति
से सम्बद्ध किया गया है, उसे तबतक नहीं समझा जा सकता है जबतक
विमुद्रीकरण एवं शराब-प्रतिबन्ध की नीति की समझ न हो और ज़मीनी धरातल पर इसके
क्रियान्वयन से परीक्षार्थी वाकिफ न हों।
6. जी.एस.टी.
क्या है? भारत में इसके परिचय के पीछे क्या कारण थे?
भारत की अर्थव्यवस्था एवं मौद्रिक नीति पर इसके क्रियान्वयन से क्या
लाभ एवं नुकसान हुए?
जीएसटी पर
आधारित इस प्रश्न में जीएसटी के बारे में समझाते हुए उसके कारणों की चर्चा करनी
है। साथ ही, इसके अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के साथ-साथ मौद्रिक नीति पर इसके सकारात्मक
एवं नकारात्मक प्रभावों की भी विवेचना करनी है।
अबतक पूछे
गए प्रश्न
(56-59)th BPSC |
(53-55)th BPSC |
(48-52)th BPSC |
47th BPSC |
46th
BPSC
|
1. जनांकिकी
लाभांश’ क्या है? आर्थिक संवृद्धि पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें। 2.भारत में ‘कृषि-विपणन’ का वर्णन कीजिए एवं ‘कृषि विपणन व्यवस्था’ की
कमजोरियों को बताये। कृषि
उपज विपणन व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बिहार
सरकार द्वारा क्या उपाय किये गये हैं? 3.क्षेत्रीय विकास से
क्या तात्पर्य है? बिहार के आर्थिक
विकास में क्षेत्रीय नियोजन कहाँ तक सफल रहा है? विवेचना करें। 4.एक सुनिश्चित एवं संगठित स्थानीय स्तर की
शासन-प्रणाली के अभाव में पंचायतें एवं समितियाँ
मुख्यतः राजनीतिक संस्थाएँ बनी
रहती हैं और शासन-प्रणाली की उपकरण नहीं बन पाती हैं। आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये। |
1.“कृषि-विविधता
एवं जैव कृषि भारत में खाद्द्य संरक्षण के अच्छे विकल्प है।” बिहार
के विशेष सन्दर्भ में इसकी आलोचनात्मक विवेचना करें। 2.भारत सरकार के 13वें
वित्त आयोग की मुख्य सिफारिशों की चर्चा करें। 3.बिहार राज्य सरकार के वित्तीय
संसाधनों की बिगड़ती हुई परिस्थिति को समझाये। 4.विश्व व्यापार संगठन के मुख्य
करारों को समझाये. कृषि के करारों की विस्तृत
चर्चा करें। |
1.सरकार अपनी पंचवर्षीय
योजनाओं से बिहार में गरीबी हटाने में किस हद तक सफल रही है? 2.“हरित क्रांति ने भारत में अनाज उत्पादन को बढाया है परन्तु
इसने अनेक पर्यावर्णीय समस्याएं उत्पन्न कर दी है।” इसकी व्याख्या उचित उदाहरण सहित दे। 3.आप कहाँ तक सहमत हैं कि जनसंख्या का अधिक घनत्व भारत में गरीबी का
मुख्य कारण है? 4.वैश्वीकरण का भारत की सामजिक,
राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था पर
क्या प्रभाव पड़ा है? लिखे। |
1.11वींपंचवर्षीय योजना में समावेशी संवृद्धि” क्या है? योजना आयोग द्वारा
इसे प्राप्त करने के लिए क्या रणनीति अपनाई गयी है? 2.“निर्धनता मानव-जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रहने
का मामला है।” समझाए और
इसे कम करने के उपाय बताये। 3.“भारत-निर्माण योजना” क्या है? भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को
समृद्ध बनाने में इसकी भूमिका को समझाए। |
1.बिहार में
विभिन्न कृषि उपजों की प्रति हेक्टेयर उत्पादन स्थिर क्यों है? इनके
आधारभूत कारणों और उन्हें दूर करने के महत्वपूर्ण उपायों को समझाये। 2.10वीं
पंचवर्षीय योजना के आधारभूत उद्देश्य क्या हैं? इन उद्देश्यों को
प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गयी रणनीति को समझाये। 3.भारत में UPA सरकार की ‘सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम क्या है? भारत में
लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने में इनकी भूमिका को समझाये। 4. भारत में बेरोजगारी
की समस्या की प्रकृति क्या है? क्या आप सोचते हैं कि राष्ट्रीय
रोजगार गारंटी अधिनियम निर्धनों की निर्धनता और बेरोजगारी की समस्या को हल कर
सकेगा? |
संभावित
प्रश्न: 69वीं बीपीएससी (मुख्य) परीक्षा
1. सामाजिक एवं आर्थिक विकास:
a. जनांकिकीय
लाभांश के दोहन के रास्ते में मौजूद चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन: स्वास्थ्य-सुरक्षा
और डिजिटल हेल्थ मिशन, डिजिटल एजुकेशन
b. कोरोना-संकट और
भारतीय अर्थव्यवस्था: संवृद्धि एवं रोजगार का सन्दर्भ, गरीबी-उन्मूलन और बेरोजगारी-उन्मूलन के सन्दर्भ में इसके निहितार्थ:
आत्मनिर्भर भारत अभियान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बेरोजगारी
c. गरीबी-उन्मूलन
रणनीति: बेसिक इनकम स्कीम, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर
d. नीति आयोग का
बहुआयामी निर्धनता सूचकांक और बिहार, नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट-5
e. नीति आयोग का
भारत नवाचार सूचकांक,2021
f. वर्ल्ड
हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट,2019-2, मानव विकास रिपोर्ट, विश्व प्रतिस्पर्धा
सूचकांक,2022; नयी शिक्षा नीति,
g. संयुक्त
राष्ट्रसंघ का सतत विकास लक्ष्य और भारत
h. शहरीकरण-प्रबंधन:
कचरा-प्रबंधन: ई-कचरा प्रबंधन
2. आयोजन:
a. योजना आयोग-नीति
आयोग तुलना: नीति आयोग: अबतक का अनुभव: इसकी भूमिका का मूल्यांकन
b. विकेन्द्रीकृत
आयोजन: स्थानीय संस्थाओं की भूमिका
3. आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के आलोक में
कृषि-क्षेत्र:
a. हरित-क्रांति:
दूसरी हरित-क्रांति एवं पहली हरित-क्रांति के सबक़
b. भूमि-संसाधन
प्रबन्धन: भूमि-सुधार
c. मौजूद चुनौतियाँ
एवं संभावनाएँ: कृषि-संकट, कृषि-सुधार और किसान-आन्दोलन: किसानों की आय को
दोगुना करने का लक्ष्य, कृषि-विपणन: न्यूनतम समर्थन
मूल्य-नीति, अनुबंध कृषि और इससे सम्बंधित सुधार, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम और इसके निहितार्थ, प्रधानमंत्री किसान-सम्मान निधि स्कीम
d. जलवायु-परिवर्तन
एवं भारतीय कृषि: प्रभाव, चुनौतियाँ और समाधान
e. जल-संसाधन
प्रबंधन: गहराता जल-संकट, भू-जल संकट और इससे निपटने की दिशा
में हालिया पहल: जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप्स
f. बिहार में
कृषि-क्षेत्र के विकास की रणनीति: तीसरा कृषि रोडमैप: बिहार में कृषि-आधारित
उद्योगों की संभावनाएँ, कृषि-प्रसंस्करण एवं खाद्य-प्रसंस्करण
g. खाद्य-सुरक्षा:
कोविड का प्रभाव, ग्लोबल हंगर इंडेक्स, प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण अन्न योजना
h. इण्डिया
बायो-इकोनॉमी रिपोर्ट,2022
4. आर्थिक एवं औद्योगिक नीति:
a. आर्थिक उदारीकरण
और पिछले तीन दशकों के दौरान इसकी उपलब्धियों का मूल्यांकन: गरीबी एवं बेरोजगारी
के विशेष सन्दर्भ में
b. निजीकरण एवं
विनिवेश: विमुद्रीकरण: नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन; नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर
पाइपलाइन
c. भारतीय आर्थिक
संवृद्धि का गतिरोध: आर्थिक अवमंदन और आर्थिक मन्दी, लघु उद्योगों का योगदान एवं
महत्व
d. अनौपचारिक
अर्थव्यवस्था: नोटबन्दी, जीएसटी एवं कोविड के विशेष सन्दर्भ में
5. सार्वजनिक वित्त,
मुद्रा एवं बैंकिंग:
a. सब्सिडी रिफॉर्म, प्रत्यक्ष नकदी
अंतरण(DBT),
b. शराबबन्दी एवं
इसका बिहार के वित्त पर प्रभाव,
c. पंद्रहवें वित्त
आयोग; इससे सम्बंधित विवाद और इसकी अंतिम रिपोर्ट
d. राजकोषीय
संघवाद: जीएसटी विवाद
e. आरबीआई संकट:
एनपीए संकट और इससे सम्बंधित विवाद, बैड बैंक, राइट ऑफ बनाम् ऋण-माफ़ी
6. व्यापार एवं निवेश:
a. वैश्वीकरण एवं
विवैश्वीकरण (Deglobalisation)
b. विश्व व्यापार
संगठन: दोहा विवाद और भारत: सब्सिडी और खाद्य-सुरक्षा
के विशेष सन्दर्भ में, ट्रिप्स समझौता और ट्रिप्स प्लस विवाद, 12वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मलेन,2022
c. मुक्त व्यापार
समझौता बनाम् बहुपक्षीय व्यापार समझौता: क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (RCEP) और भारत
d. कमजोर होता रूपया:
गिरता फॉरेक्स रिज़र्व
e. भारत-ऑस्ट्रेलिया
द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता,2022
f. भारत-संयुक्त
अरब अमीरात व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता,2022
g. अंकटाड विश्व
निवेश रिपोर्ट,2022
स्रोत-सामग्री:
1. सार्थक भारतीय अर्थव्यवस्था
(बीपीएससी सीरीज पार्ट 3): कुमार सर्वेश
2. आर्थिक समीक्षा,
बिहार सरकार
3. बजट, बिहार
सरकार
4. प्रतियोगिता
दर्पण (मासिक): आर्थिक घटनाक्रम
5. योजना (मासिक)
6. कुरुक्षेत्र
(मासिक)
7. समाचार-पत्र: The Hindu, The Indian Express, जनसत्ता
No comments:
Post a Comment