भारतीय अर्थव्यवस्था: ट्रेंड-विश्लेषण और रणनीति (BPSC)
बिहार लोक सेवा
आयोग के द्वारा आयोजित मुख्य परीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था खंड से प्रश्न
सामान्य अध्ययन द्वितीय पत्र में भूगोल के साथ पूछे जाते हैं। इसके अलावा कई बार सामान्य
अध्ययन प्रथम पत्र में कर्रेंट सेक्शन के अंतर्गत भी अर्थव्यवस्था से सम्बंधित
प्रश्न रहते हैं। जहाँ तक पूछे जाने वाले प्रश्नों, उनकी प्रकृति और उनके रूझानों का
प्रश्न है, तो वे सामान्यतः गरीबी, बेरोजगारी, जनांकिकी, कृषि, आयोजन और वित्त
आयोग के साथ-साथ वैश्वीकरण एवं WTO से पूछे जाते हैं। साथ ही, इसके लिए अपडेशन की भी ज़रूरत होती है। इस खंड की तैयारी
करते वक़्त इन पहलुओं के साथ-साथ इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कई बार
ऐसे प्रश्न बिहार के विशेष सन्दर्भ से जोड़कर पूछे जाते हैं। इसीलिए मुख्य परीक्षा
में शामिल होने वाले छात्रों की तैयारी की रणनीति भी इसी के परिप्रेक्ष्य में
निर्धारित होनी चाहिए।
बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित
मुख्य परीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था खंड से अबतक पूछे गए प्रश्न
(56-59)th
BPSC
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(53-55)th
BPSC
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(48-52)th
BPSC
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47th BPSC
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46th
BPSC
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1. जनांकिकी
लाभांश’ क्या है? आर्थिक
संवृद्धि पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें।
2.भारत में ‘कृषि-विपणन’ का वर्णन कीजिए एवं
‘कृषि विपणन व्यवस्था’ की कमजोरियों को बताये। कृषि उपज विपणन व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बिहार सरकार द्वारा क्या उपाय किये गये हैं?
3.क्षेत्रीय विकास से क्या तात्पर्य है? बिहार के आर्थिक विकास में क्षेत्रीय नियोजन
कहाँ तक सफल रहा है? विवेचना करें।
4.एक सुनिश्चित एवं संगठित स्थानीय स्तर की शासन-प्रणाली
के अभाव में पंचायतें एवं समितियाँ मुख्यतः
राजनीतिक संस्थाएँ बनी रहती
हैं और शासन-प्रणाली की उपकरण नहीं बन पाती हैं। आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये।
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1.“कृषि-विविधता
एवं जैव
कृषि भारत में खाद्द्य
संरक्षण के अच्छे विकल्प है।”
बिहार के विशेष सन्दर्भ में इसकी
आलोचनात्मक विवेचना करें।
2.भारत सरकार के 13वें वित्त आयोग की मुख्य सिफारिशों की चर्चा
करें।
3.बिहार
राज्य सरकार के वित्तीय संसाधनों की बिगड़ती हुई परिस्थित को समझाये।
4.विश्व
व्यापार संगठन के मुख्य करारों को समझाये. कृषि के करारों की विस्तृत चर्चा करें।
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1.सरकार अपनी पंचवर्षीय योजनाओं से बिहार में गरीबी हटाने में
किस हद तक सफल रही है?
2.“हरित
क्रांति ने भारत में अनाज
उत्पादन को बढाया है परन्तु इसने अनेक पर्यावर्णीय समस्याएं उत्पन्न कर दी है।” इसकी व्याख्या उचित उदाहरण
सहित दे।
3.आप कहाँ तक सहमत हैं कि
जनसंख्या का अधिक घनत्व भारत में
गरीबी का मुख्य कारण है?
4.वैश्वीकरण
का भारत की सामजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है?
लिखे।
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1.11वींपंचवर्षीय योजना में समावेशी संवृद्धि” क्या है? योजना आयोग द्वारा
इसे प्राप्त करने के लिए क्या रणनीति अपनाई गयी है?
2.“निर्धनता मानव-जीवन की मूलभूत
आवश्यकताओं से वंचित रहने का मामला है।” समझाए और इसे कम करने के उपाय बताये।
3.“भारत-निर्माण
योजना” क्या है? भारत
में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने में इसकी भूमिका को समझाए।
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1.बिहार में विभिन्न कृषि उपजों की प्रति हेक्टेयर उत्पादन
स्थिर क्यों है? इनके आधारभूत कारणों और उन्हें दूर करने के
महत्वपूर्ण उपायों को समझाये।
2.10वीं पंचवर्षीय योजना के आधारभूत उद्देश्य
क्या हैं? इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गयी रणनीति
को समझाये।
3.भारत में UPA सरकार की ‘सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम क्या है? भारत में
लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने में इनकी भूमिका को समझाये।
4. भारत में बेरोजगारी की
समस्या की प्रकृति क्या है? क्या आप सोचते हैं कि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी
अधिनियम निर्धनों की निर्धनता और बेरोजगारी की समस्या को हल कर सकेगा?
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मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक:
पिछले पाँच वर्षों के दौरान इस
खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों और इस वर्ष परिक्षा के पैटर्न में किये जाने वाले बदलावों
के आलोक में देखा जाय, तो अर्थव्यवस्था खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों को
निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. सामाजिक एवं आर्थिक
विकास
2. आयोजन, नीति आयोग और
वित्त आयोग
3. कृषि, उद्योग एवं व्यापार
4. सार्वजनिक वित्त
सामाजिक
एवं आर्थिक विकास के अंतर्गत जीडीपी आकलन विधि में संशोधन, ग़रीबी, बेरोज़गारी, समावेशी विकास, सतत् विकास, जनांकिकीय लाभांश तथा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समावेशन से संबंधित सरकारी
योजनाएँ एवं कार्यक्रम शामिल हैं।
आयोजन,
नीति आयोग और वित्त आयोग के अंतर्गत स्वतंत्र भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में
योजना आयोग की भूमिका का मूल्यांकन, योजना आयोग-नीति आयोग तुलना, नीति आयोग का गठन, तीन
वर्षीय विज़न डॉक्यूमेंट, नीति आयोग की भूमिका का मूल्यांकन, चौदहवाँ वित्त आयोग, तेरहवें
वित्त आयोग से तुलना, पन्द्रहवें वित्त आयोग का गठन और इसका बिहार के विकास पर असर
आदि महत्वपूर्ण हैं।
भारत
और बिहार की कृषि के अंतर्गत बिहार में भूमि-सुधार, भूमि-अधिग्रहण विवाद, कृषि
अर्थव्यवस्था में स्थिरता, दूसरी हरित क्रांति एवं पहली हरित क्रांति के सबक़, आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के आलोक में कृषि-क्षेत्र, कृषि-संकट, कृषक-आत्महत्या का बढ़ता रुझान,
किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति, नई ऊर्वरक
सब्सिडी नीति, नई यूरिया नीति, कृषि-प्रसंस्करण एवं खाद्य-प्रसंस्करण, कृषि-क्षेत्र
के समक्ष मौजूद चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ, कृषि-क्षेत्र का विकास एवं जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप्स, बिहार में कृषि-क्षेत्र के विकास की रणनीति एवं
इसके समक्ष मौजूद चुनौतियाँ आदि महत्वपूर्ण है।
आर्थिक
एवं औद्योगिक नीति के अंतर्गत आर्थिक उदारीकरण और पिछले ढ़ाई दशकों के दौरान
इसकी उपलब्धियों का मूल्यांकन, उद्योग के अंतर्गत लघु उद्योगों का योगदान एवं
महत्व, बिहार में कृषि-आधारित
उद्योगों की संभावनाएँ आदि महत्वपूर्ण हैं। सरकारी योजनाएँ एवं कार्यक्रम के
अंतर्गत जन-धन स्कीम, स्वच्छ भारत मिशन,
मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया: स्टैंड अप इंडिया आदि शामिल हैं।
व्यापार
एवं निवेश के अंतर्गत वैश्वीकरण, विवैश्वीकरण(Deglobalisation),
विश्व व्यापार संगठन, ट्रिप्स समझौता, मुक्त व्यापार समझौता, नवीन पंचवर्षीय व्यापार नीति (2015-20), आदि टॉपिक महत्वपूर्ण हैं।
सार्वजनिक
वित्त के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर, सब्सिडी रिफॉर्म, शराबबन्दी एवं इसका
बिहार के वित्त पर प्रभाव, चौदहवाँ वित्त आयोग, तेरहवें वित्त आयोग से तुलना आदि महत्वपूर्ण
हैं।